राजधानी जयपुर में सेज थाने के बाहर एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में सांसद किरोड़ी ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री सद्दाम हुसैन की तरह सात तारों में बंद हो गए हैं। ना जाने उन्हें ऐसा क्या डर सत्ता रहा है कि वे वीरांगनाओं से नहीं मिल रहे हैं। सरकार ने वीरांगनाओं को चौथी बार अपमानित किया है। ऐसे में राजस्थान के इस सद्दाम हुसैन को वीरांगनाएं सबक सिखाकर ही वापस लौटेंगी।
ज़िद ठान कर बैठे हैं सीएम: सांसद मीणा
सांसद किरोड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री वीरांगनाओं की बात मानने की तो दूर उनसे नहीं मिलने तक की ज़िद ठानकर बैठे हुए हैं। उन्होंने कहा कि वीरांगनाओं की मांगे मानने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्र, सरकार के कई मंत्री, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, एक दर्जन सीनियर नेताओं से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तक मुख्यमंत्री से आग्रह कर चुके हैं, लेकिन बावजूद इसके कोई सुनवाई नहीं हो रही।
‘चौथी बार वीरांगनाओं का अपमान’
सांसद किरोड़ी ने कहा कि ये चौथी बार है जब शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं के साथ पुलिस ने दुर्व्यवहार कर अपमानित किया गया है। सरकार की ऐसी कार्रवाई राजनेताओं के साथ तो होती देखि है, लेकिन वीरांगनाओं के साथ ऐसा होना दुखद है।
‘गुर्जर आंदोलन में नौकरी दी तो फिर यहां क्यों नहीं’
राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि वीरांगनाएं सिर्फ मुख्यमंत्री से मिलना चाहती हैं। लेकिन सीएम 10 दिन से नहीं मिल रहे हैं। सांसद ने कहा कि हम उग्र प्रदर्शन नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि गुर्जर आंदोलन में 13 मृतक परिवारों में देवर, भतीजों आदि सदस्यों को नौकरी दी गई थी। जब वहां दे सकते हैं तो यहां देने में क्या दिक्कत है? उन्होंने कहा कि जब तक मुख्यमंत्री सुनवाई नहीं करेंगे धरना जारी रहेगा।सीएम के ट्वीट के बाद किया कूच का प्रयास
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को प्रकरण को लेकर फिर ट्वीट किया। इसमें कहा कि शहीदों के बच्चों का हक मारकर किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी देना कैसे उचित ठहराया जा सकता है? जब शहीद के बच्चे बालिग होंगे तो उन बच्चों का क्या होगा? उनका हक मारना उचित है क्या? इधर, सीएम के ट्वीट के बाद दोपहर तीन बजे वीरांगनाओं ने सीएम हाउस की ओर से कूच किया। पुलिस ने राजभवन चौराहे पर बैरिकेड्स लगाकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर दी। वीरांगनाओं ने सीएम आवास की ओर दंडवत प्रणाम भी किया।