तीनों शहरों के कई वार्डों में पार्टी प्रत्याशी के नामांकन दाखिल नहीं कर पाने से कांग्रेस-भाजपा दोनों ही दलों को ज़बरदस्त झटका लगा है। लिहाजा अब दोनों ही दल प्लान ऐ के फेल होने के बाद प्लान बी को अंजाम देने में जुट गए हैं। पार्टियों की रणनीति के तहत अब निर्दलीय प्रत्याशियों से संपर्क कर उनसे समर्थन का गणित बैठाया जाएगा। लेकिन ये कवायद गुरूवार को नामांकन वापसी की प्रक्रिया ख़त्म होने के बाद से शुरू होगी।
नामांकन वापसी के बाद जब ये तस्वीर साफ़ हो जायेगी कि वार्डों में अब कितने प्रत्याशी चुनाव मैदान में शेष रह गए हैं, तब राजनीतिक दल निर्दलियों से समर्थन लेने की मशक्कत में जुटेंगे। रणनीति के तहत पहले निर्दलीयों की हिस्ट्री खंगाली जायेगी। उनमें से जो पार्टी को मजबूत और जिताऊ प्रत्याशी लगेगा उससे समर्थन देने के लिए संपर्क साधा जाएगा। इस कवायद में पार्टियाँ निर्दलीयों को भविष्य के लिए कई तरह के ‘ऑफर’ भी दे सकती हैं।
दरअसल, चुनाव बाद नगर निगम में बोर्ड बनने से लेकर मेयर तक के चुनाव में निर्दलीय पार्षदों की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। पूर्व के कई बार ऐसी स्थितियां आईं जब राजनीतिक दलों के समर्थित निर्दलीय पार्षदों ने उन्हें मुश्किल समय में संकट से उबारा है। ऐसे में वे ‘किंगमेकर’ की भूमिका में रहते हैं।
जयपुर नगर निगम में ये है स्थिति
निर्वाचन अधिकारी (म्यूनिसिपल) अंतर सिंह नेहरा के अनुसार नगर निगम जयपुर हैरिटेज में 100 वार्डों में कुल 55 नामांकन पत्र रिजेक्ट हुए हैं। जबकि नगर निगम ग्रेटर के कुल 150 वार्डों में 72 नामांकन रिजेक्ट हुए हैं। नामांकन पत्र प्रत्याशियों के आपराधिक मामले, जाति प्रमाण पत्र, मूल निवास पत्रों के कारणों से खारिज हुए हैं।
जयपुर के हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगमों में कुल 8 वार्ड ऐसे हो गए हैं जहां भाजपा-कांग्रेस का कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं है। हैरिटेज निगम में वार्ड 6 और वार्ड 7 में भाजपा का प्रत्याशी नहीं है तो वहीं हैरिटेज निगम में ही वार्ड 89 में कांग्रेस का कोई उम्मीदवार नहीं है। इसी तरह से ग्रेटर निगम के वार्ड 56, वार्ड 58, वार्ड 134 में भाजपा प्रत्याशियों के जबकि वार्ड 135 में कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन खारिज हुए हैं।