
राजस्थानी हस्तशिल्प को ऑनलाइन बाजार मुहैया कराएगा नया निदेशालय
जयपुर. प्रदेश के परंपरागत उद्योगों में शामिल हस्तशिल्प और हथकरघा के लिए प्रस्तावित नया निदेशालय हस्तशिल्पियों और बुनकरों को उनके उत्पादों की सही कीमत दिलाने के लिए ऑनलाइन बाजार से जोड़ेगा। इन उत्पादों को आधुनिक बाजार के योग्य बनाने के लिए सुझाव भी देगा।
राज्य की करीब एक दर्जन से अधिक विख्यात हस्तकलाएं हैं लेकिन इनकी मार्केटिंग के लिए अलग से कोई सरकारी एजेंसी काम नहीं करती। सरकार ने यह निदेशालय जल्द बनाने की घोषणा विधानसभा में की है। सूत्रों ने बताया कि वित्त विभाग से मंजूरी मिलने के बाद निदेशालय का प्रशासनिक ढांचा तय किया जाएगा। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में छह लाख से अधिक हस्तशिल्पी और 40 हजार से अधिक बुनकर हैं। लेकिन बाजार में उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण खास तौर पर बुनकर पारंपरिक काम छोड़ते जा रहे हैं। हस्तशिल्पियों के लिए अपने उत्पाद की मार्केटिंग खुद के दम पर कर पाना मुश्किल कार्य है। ऐसे में सरकार का मानना है कि नया निदेशालय हस्तशिल्पियों और बुनकरों को समग्र नीति के तहत बाजार से जोड़ पाएगा।
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ये होंगे निदेशालय के कार्य
- बिक्री व प्रदर्शन योग्य उत्पादों का प्रचार-प्रसार, ई-प्लेटफॉर्म कम्पनियों से एमओयू।
- उत्पादों के विक्रय, प्रदर्शन के लिए देश और विदेश के मेलों-प्रदर्शनियों के लिए कलैण्डर तैयार करना।
- उत्पादों को विभिन्न पर्यटन स्थलों तक उपलब्ध कराने में सहयोग।
- हस्तशिल्प एवं हथकरघा को अधिक से अधिक निर्यात कराने के लिए प्रयास करेगा।
- उत्पादों की गुणवत्ता सुधार एवं बाजार योग्य बनाने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन।
- देशभर में मेलों, ग्रामीण एवं शहरी हाटों से शिल्पकारों को जोडऩा।
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इन कलाओं को मिलेगा फायदा
प्रदेश की प्रमुख हस्तशिल्प और कलाओं में हैण्ड ब्लॉक प्रिंटिंग, बन्धेज, टाई एण्ड डाई, तारकशी, कुन्दन मीनाकारी, टेराकोटा, थेवा, मूर्तियां, कोटा डोरिया, जयपुरी रजाई, लाख शिल्प, उस्तां आर्ट, मिनिएचर पेंटिंग, ब्लू पॉटरी, जयपुरी एवं जोधपुरी जूती, पेपरमेशी, क्ले आर्ट, हैण्डमेड पेपर, स्टोन र्कािवंग प्रमुख हैं।
Published on:
08 Mar 2020 09:24 pm
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