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जयपुर

बरसों पुराने मुद्दों के समाधान की जगी आस…उम्मीदों को लगे पंख

राजधानी के एक विधायक अब मुख्यमंत्री हैं और दूसरी विधायक उप मुख्यमंत्री। ऐसे में अब शहरवासियों की उम्मीदें भी आसमान पर हैं। इन जनप्रतिनिधियों को जयपुर के पांच बड़े मुद्दों पर ध्यान देने की दरकार है। यदि इन मुद्दों पर सरकार ने समय सीमा निर्धारित कर काम किया तो लाखों लोगों को सहूलियत मिलेगी। कोई राजधानी में सरकारी पानी के लिए तरस रहा है तो कोई बस के इंतजार में कई घंटे खड़ा रहता है। रोज हजारों लोग पास में सरकारी अस्पताल न होने की वजह से कई किमी का सफर तय कर सवाई मानसिंह अस्पताल आते हैं।
 
 

जयपुरDec 18, 2023 / 08:31 pm

Ashwani Kumar

बरसों पुराने मुद्दों के समाधान की जगी आस...उम्मीदों को लगे पंख

बरसों पुराने मुद्दों के समाधान की जगी आस…उम्मीदों को लगे पंख

 

राजधानी के एक विधायक अब मुख्यमंत्री हैं और दूसरी विधायक उप मुख्यमंत्री। ऐसे में अब शहरवासियों की उम्मीदें भी आसमान पर हैं। इन जनप्रतिनिधियों को जयपुर के पांच बड़े मुद्दों पर ध्यान देने की दरकार है। यदि इन मुद्दों पर सरकार ने समय सीमा निर्धारित कर काम किया तो लाखों लोगों को सहूलियत मिलेगी। कोई राजधानी में सरकारी पानी के लिए तरस रहा है तो कोई बस के इंतजार में कई घंटे खड़ा रहता है। रोज हजारों लोग पास में सरकारी अस्पताल न होने की वजह से कई किमी का सफर तय कर सवाई मानसिंह अस्पताल आते हैं।


पांच मुद्दों पर देना होगा ध्यान
1- शहर फैला, सार्वजनिक परिवहन सीमित:
जयपुर प्रदेश का सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। लेकिन, मेट्रो का दायरा सीमित है। आठ वर्ष में मेट्रो का रूट सिर्फ 12 किमी तक पहुंच पाया है। तेईस किमी का दूसरा चरण (अम्बाबाड़ी से सीतापुरा तक) जब तक धरातल पर नहीं आएगा, तब तक यात्रियों को कोई फायदा नहीं होगा। वहीं, सिटी बसें भी आबादी के लिहाज से कम हैं। चालीस लाख आबादी वाले शहर को 1500 सिटी बसों की जरूरत है। अभी 200 बसें ही चल रही हैं। तीन सौ इलेक्ट्रिक बसें दो साल से नहीं आ पाई हैं।


2-ड्रेनेज सिस्टम फेल: राजधानी का ड्रेनेज सिस्टम फेल हो चुका है। सीकर व अजमेर रोड की कॉलोनियों में बुरा हाल है। जेडीए ने 40 करोड़ रुपए से पानी निकासी का प्लान तैयार किया है। लेकिन, धरातल पर काम शुरू नहीं हो पाया है। अजमेर रोड स्थित कमला नेहरू नगर के आस-पास बरसात के दिनों में वाहन तक तैरने लगते हैं। परकोटा के कई इलाकों में भी ड्रेनेज सिस्टम न होने से दुकानों में पानी भर जाता है।


3-पेयजल की किल्लत: राजधानी में बाहरी इलाकों में पानी की किल्लत है। पृथ्वीराज नगर में करीब छह लाख की आबादी को सरकार पानी उपलब्ध नहीं करा पा रही है। सांगानेर, दिल्ली रोड से लेकर टोंक रोड, अजमेर रोड और आगरा रोड पर भी सैकड़ों कॉलोनियाें में रहने वाले हजारों लोगों को सरकारी पानी का इंतजार है। शहर के बीचों बीच गंदे पानी की भी नियमित रूप से शिकायतें आती हैं।


4-जर्जर सीवर लाइन बदलनी होगी : परकोटा क्षेत्र में सीवर लाइन जर्जर हो चुकी है। छह लाख की आबादी प्रभावित हो रही है। इसके अलावा मालवीय नगर, सी-स्कीम, मानसरोवर, बनीपार्क से लेकर जवाहर नगर में भी सीवर लाइन जवाब दे चुकी हैं। पृथ्वीराज नगर में भी हाल बेहाल है। इस क्षेत्र में सीवर लाइन डाले जाने का काम चल रहा है। इसको गति देनी होगी।


5-वर्टिकल डवलपमेंट पर करना होगा फोकस
शहर के आस-पास सैटेलाइट टाउन बनाने की बात वर्षों से हो रही है। अब इनको विकसित करने का समय है। कनेक्टिविटी पर भी फोकस करना होगा। फैलते शहर को रोकने के लिए वर्टिकल डवलपमेंट को बढ़ावा देना होगा। इससे मूलभूत सुविधाओं पर कम खर्च होगा और लोगों को भी शहर के आस-पास ही रहने के लिए घर मिल सकेगा।


इन पर भी ध्यान देने की जरूरत
-लक्ष्मी मंदिर तिराहे को सिग्नल फ्री कर दिया गया है। वहीं, बी टू बाइपास को सिग्नल फ्री करने का काम चल रहा है। ओटीएस और जेडीए चौराहे के साथ-साथ रामबाग चौराहे से भी ट्रैफिक लाइट हटाने का काम शुरू करना चाहिए।
-दिल्ली रोड, आगरा रोड, टोंक रोड और अजमेर रोड पर बस स्टैंड के लिए जमीन आवंटित हो चुकी है। अजमेर रोड पर तो काम भी हो रहा है। बाकी जगह भी इस काम को तेजी से करवाया जाए।
-आचार संहिता से पहले शिवदासपुरा, कानोता और बालमुकुंदपुरा में सैटेलाइट अस्पताल का शिलान्यास हो चुका है। इनका काम तय समय में सरकार ने पूरा किया तो सवाई मानसिंह अस्पताल का भार कम होगा।

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