इस योजना से विद्यार्थियों को सब्जियां उगाने और बागवानी करने का अनुभव तो प्राप्त होगा ही साथ ही विद्यार्थियों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी। इन गार्डन्स में रासायनिक खाद और कैमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। जैविक खाद, पेड़—पौधों की पत्तियां, गोबर आदि की ही इनमें प्रयोग किया जाएगा। स्वयं सेवी संस्था, ईको क्लब, स्काउट, एनसीसी कैडेटस, विद्यालय विकास समिति के सदस्यों और स्थानीय लोगों का इसमें सहयोग लिया जाएगा।
न्यूट्रिशन गार्डन को विकसित करने की जिम्मेदारी स्कूल के विद्यार्थियों की रहेगी, इसमें उनके अभिभावकों का भी सहयोग लिया जाएगा। अभिभावक अध्यापक बैठक में भी इस गार्डन के संबंध में परिजनों का जानकारी दी जाएगी। यदि किसी स्कूल में गार्डन विकसित हो गया है तो उसका अवलोकन अभिभावकों को कराया जाएगा।
जिन स्कूलों में जगह की कमी है वहां कंटेनर्स, जार, मिटटी के बर्तन, आटे के थैले आदि में भी सब्जियों को उगाया जा कसता है।
स्कूल के न्यूट्रिशन गार्डन में लौकी, मूली, गाजर, पोदिना, धनिया, पालक, टमाटर, अरबी, आलू, मीठा नीम आदि सब्जियां व फल उगाए जा सकते हैं। मौसम के अनुसार उगाई जाने वाली सब्जियों और फलों की जानकारी संस्था प्रधान संबंधित कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग, कृृषि विश्वविद्यालय, संस्थाओं के वनस्पति शास्त्र के विभाग आदि से भी ले सकते हैं।