दरअसल, भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने एक अध्ययन के बाद कहा है कि अगर भारत कुछ देशों की तकनीक अपनाए तो देश में प्याज की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है। फिक्की ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत अगर इजरायल और ब्राजील जैसे देशों की तकनीक अपना ले तो यहां प्याज की कीमत आसमान छूने जितनी नहीं होंगी। इसके लिए फिक्की ने कुछ सुझाव दिए हैं। भारत के व्यापारिक संगठनों के संघ फिक्की ने भंडारण व्यवस्था में सुधार पर जोर देते हुए कहा है कि अभी प्याज के भंडारण की जो भी व्यवस्थाएं हैं वो काफी महंगी हैं। इस कारण प्याज के दाम में बढ़ोतरी होने जैसी स्थितियां बन जाती हैं। इनसे बचने के लिए जरूरी है कि इजरायल और ब्राजील की तरह प्याज के भंडारण की व्यवस्था की जाए।
यहां भंडारण की यह तकनीक दरअसल, इजरायल और ब्राजील में प्याज के भंडारण की अच्छी व्यवस्था है। फिक्की ने कहा है कि प्याज के भंडारण की व्यवस्था खेत के आसपास ही होनी चाहिए। ब्राजील में ऐसा ही होता है। वहां पर प्याज की खरीद और भंडारण व्यवस्था खेतों के आस पास ही होती है। इसके लिए वहां हवादार भंडारण (साइलो) प्रणाली का उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं, वहां कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था भी अच्छी तरह की होती है।
इन राज्यों में सबसे ज्यादा पैदावार
आपको बता दें कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में प्याज की खेती सालभर होती है। ऐसे में जुलाई, अगस्त और सितंबर महीने को अगर छोड़ दिया जाए तो बाजार में ताजे प्याज की उपलब्धता नई भंडारण की व्यवस्था को अपनाकर आसानी से की जा सकती है। कटाई के बाद प्याज को लगभग तीन महीने तक पारंपरिक हवादार गोदामों में रखना चाहिए। ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि कटाई के बाद ही प्याज की 20 से 40 फीसदी उपज ठीक से रखरखाव के इंतजाम नहीं होने से खराब हो जाती है। लेकिन अगर भारत में इजरायल और ब्राजील जैसी तकनीक अपनाई जाएगी तो यहां प्याज की उपज में नुकसान को कम किया जा सकता है। आपको बता दें कि भारत के कुल प्याज उत्पादन में कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश का योगदान करीब 60 फीसदी है। इन स्थानों से ही दूसरे राज्यों में प्याज बिक्री के लिए उपलब्ध करवाया जाता है।
इन राज्यों में सबसे ज्यादा पैदावार
आपको बता दें कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में प्याज की खेती सालभर होती है। ऐसे में जुलाई, अगस्त और सितंबर महीने को अगर छोड़ दिया जाए तो बाजार में ताजे प्याज की उपलब्धता नई भंडारण की व्यवस्था को अपनाकर आसानी से की जा सकती है। कटाई के बाद प्याज को लगभग तीन महीने तक पारंपरिक हवादार गोदामों में रखना चाहिए। ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि कटाई के बाद ही प्याज की 20 से 40 फीसदी उपज ठीक से रखरखाव के इंतजाम नहीं होने से खराब हो जाती है। लेकिन अगर भारत में इजरायल और ब्राजील जैसी तकनीक अपनाई जाएगी तो यहां प्याज की उपज में नुकसान को कम किया जा सकता है। आपको बता दें कि भारत के कुल प्याज उत्पादन में कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश का योगदान करीब 60 फीसदी है। इन स्थानों से ही दूसरे राज्यों में प्याज बिक्री के लिए उपलब्ध करवाया जाता है।