राज्यपाल को राजस्थान को जैविक प्रदेश बनाने के संबंध कई सुझाव दिए हैं। गुप्ता ने कहा कि राजस्थान में देश का 11 प्रतिशत क्षेत्र कृषि योग्य भूमि है। राजस्थान का क्रमश: नागालैंड, पंजाब व अरूणाचल प्रदेश के बाद चौथा स्थान है। ओएफपीएआई राजस्थान प्रदेश को वर्ष-2030 तक पूर्ण जैविक राज्य बनाने की दिशा में काम कर रही है। संघ की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष संगीता गौड़, हेनिमेन चेरिटेबल ट्रस्ट सोसायटी की सचिव मोनिका गुप्ता मौजूद रही।
सीएम ने भी घोषणा
सीएम ने भी कृषि बजट में राजस्थान जैविक खेती मिशन की घोषणा की है। गुप्ता ने कहा कि अधिकांश खेती राज्य में वर्षा पर निर्भर होने के कारण इसमें रासायनिक कीटनाशकों व रासायनिक खाद के बिना ही खेती संभव है। गुप्ता ने कहा कि देश में जीरो बजट खेती से ही किसानों की आय में व्यापक स्तर पर बढोतरी संभव है। 1950-1951 से 2019-2020 में प्रति व्यक्ति खेती योग्य भूमि लगभग पांच गुना कम हो गई है, साथ ही साथ जनसंख्या 33 करोड़ से बढ़कर 133 करोड़ हो गया है।
कम्पोस्ट खाद को दी जाए तवज्जो
मोनिका गुप्ता ने कहा कि रासायनिक खाद व कीटनाशकों के दोहन से भूमि की समाप्त हो रही उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए जरूरी है जैविक खाद व कम्पोस्ट खाद का अधिकाधिक उपयोग हो। उत्पादों की विक्रय को सुनिश्चित करने के लिए सहकारी विपणन व्यवस्था व भारतीय खाद्य निगम से जैविक खाद्यान्न खरीदने के लिए विशेष प्रावधान, ग्राम स्तर पर प्रमाणीकरण समिति बनाने के लिए प्रशिक्षण व अनुदान दें। भारत चीन के बाद दुनिया में उर्वरकों का प्रयोग करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। मुख्यमंत्री की बजट घोषणा की अनुपालना में जीरो बजट के उन्मूलन के लिए पौध संरक्षण रसायन के अनुदान का नेचुरल फार्मिंग पर एक पायलट प्रोजेक्ट टोंक, बांसवाड़ा एवं प्रावधान रखा गया है।