कार्यकर्ताओं में बढ़ रही हताशा
वहीं संगठनात्मक गतिविधियां नहीं होने और नेताओं की उदासीनता के चलते पार्टी का कार्यकर्ता भी अब हताश नजर आ रहा है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि निकाय चुनाव में अगर पार्टी को जीत दर्ज करनी है तो उसे अभी से ही उसकी तैयारियों में जुट जाना था, साथ ही कार्यकर्ताओं और नेताओं को भी जनता के बीच जाने के लिए जिम्मेदारियां दी जानी चाहिए थी, लेकिन संगठन के निर्देश और टास्क दिए बिना वे जनता के बीच किन मुद्दों को लेकर जाएं?
पीसीसी में भी सन्नाटा
वहीं लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में भी सन्नाटा ही पसरा रहता है, नेताओं के नाम पर दो-चार पदाधिकारी ही पीसीसी में नजर आते हैं, अधिकांश कमरे खाली नजर आते हैं। दिवंगत नेता की जयंती या फिर पुण्यतिथि के मौके पर जरुर कुछेक पदाधिकारी नजर आते हैं।