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जयपुर

हवा में दहशत के वो 40 मिनट- किसी को समझ नहीं आ रहा था आखिर हो क्या रहा है

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जयपुरSep 21, 2018 / 08:16 am

santosh

jet airways

हवा में दहशत के वो 40 मिनट- किसी को समझ नहीं आ रहा था आखिर हो क्या रहा है

जयपुर। जेट एयरवेज की मुंबई-जयपुर उड़ान में गुरुवार को करीब 40 मिनट दहशत में गुजारने वाले यात्रियों के चेहरे साफ बता रहे थे कि उन्हें विमान में किस भयावह हालात से गुजरना पड़ा।

जयपुर पहुंचने के बाद राजस्थान पत्रिका ने कई यात्रियों से बातचीत की तो पता चला कि क्रू सदस्यों ने वायु दबाव को बनाए रखने में लापरवाही की। यात्रियों को विमान लैंड करने से पहले तक यह नहीं बताया गया कि आखिर हुआ क्या है?
विमान जब मुंबई लैंड हुआ तो सफेद बादलों का स्मॉगविमान में फैल गया, जिससे यात्री और दहशत में आ गए। यात्रियों ने बताया कि एयरपोर्ट पर उतरने के बाद वहां के स्वागत कक्ष पर किसी को यह तक पता नहीं था कि एक विमान में ऐसी घटना हो गई। यहां तक कि एंबुलेंस और डॉक्टर की सुविधा भी नहीं थी। जब 10-15 मिनट बाद डॉक्टर आया तो कहा कॉम्बिफ्लैम ले लो।
मास्क में ऑक्सीजन ही नहीं आ रही थी
फ्लाइट के टेकऑफ के आधा घंटे बाद अचानक ऑक्सीजन मास्क नीचे आ गए। 15 मिनट बाद भी सिर्फ यह घोषणा की गई कि आप बैठे रहें, विमान को नीचे उतारा जा रहा है, क्यों व कहां उतारा जाएगा, यह तक नहीं बताया गया। यात्री कुछ समझ पाते इतने में अचानक प्रेशर बढऩे लगा और हालत खराब होने लगी। सभी सहमे हुए थे। फिर धीरे-धीरे सभी ने मास्क लगाना शुरू किए, लेकिन उनमें ऑक्सीजन ही नहीं आ रही थी।
ऊंचाई पर कम होता जाता है वायु का दबाव
हवाई यात्रा के दौरान व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। ज्यादातर हवाई जहाज 30 से 40 हजार फु ट ऊंचाई पर उड़ते हैं। हवाई जहाज के 5 से 8 हजार फुट ऊंचाई पर होने पर ऑक्सीजन का बैरोमेट्रिक और पार्शियल दबाव कम हो जाता है, जिससे सिर्फ 15 फीसदी ऑक्सीजन ही शरीर को उपलब्ध हो पाती है।
महसूस होती है खून में ऑक्सीजन की कमी
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेन्द्र खिप्पल ने बताया कि खून में ऑक्सीजन की कमी होने से हृदय की गति, हृदय का आउटपुट एवं प्रति मिनट श्वास वेंटिलेशन बदल जाता है। इससे शरीर व खून में ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है। श्वास रोग से पीडि़त व्यक्ति इसे एडजस्ट नहीं कर पाता है।
ऊंचाई के अनुसार होती है अलग-अलग बीमारी
विमान की ऊंचाई का भी लक्षण से संबंध होता है। जब विमान पांच हजार फुट से ऊपर जाता है तो नाइट विजन में परेशानी आती है। 12 हजार फुट से ऊपर निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है। 15 हजार फुट पर चिड़चिड़ापन, बेहोशी जैसे लक्षण आ जाते हैं। ये प्रभाव बीमारी की स्थिति व हवाई सफर की अवधि पर भी निर्भर करते हैं।

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