ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि पौष पूर्णिमा की विशेषता और महत्ता की वजह से इसे पौष पर्व की संज्ञा दी गई है। इस बार पौष पूर्णिमा की तिथि को लेकर कोई मतभिन्नता नहीं हैै। 28 जनवरी को सूर्याेदय के समय पूर्णिमा तिथि ही रहेगी और इसका पुण्यकाल सूर्यास्त तक बना रहेगा। इसी दिन व्रत रखा जाएगा। स्नान दान भी इसी दिन किया जाएगा। पौष माह की पूर्णिमा तिथि पर तीर्थ स्थानों या पवित्र नदियों में स्नान का सबसे ज्यादा महत्व है।
पौष पूर्णिमा पर घर में ही स्नान कर रहे हों तो पानी में गंगाजल या नर्मदा जल मिलाकर नहाना चाहिए। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद व्रत और दान का संकल्प लेना चाहिए। पौष माह सूर्याेपासना के लिए जाना जाता है और पौष पूर्णिमा के दिन सूर्याेदय के पूर्व स्नान कर सूर्यपूजन करने से इसकी पूर्णता हो जाती है। खास बात यह है कि पौष पूर्णिमा को ही पावन माघ स्नान का संकल्प लिया जाता है।
इस बार पौष पूर्णिमा अनेक शुभ संयोग के साथ आ रही है। 28 जनवरी को सूर्याेदय के समय गुरु पुष्य योग बन रहा है। आज सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृतसिद्धि योग भी बन रहा है। इन शुभ योगों ने पौष पूर्णिमा की महत्ता बढ़ा दी है। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार पूर्णिमा तिथि 28 जनवरी को देर रात लगभग 1.30 से शुरू हो रही है। इस तरह 28 जनवरी को सूर्याेदय से लेकर दिनभर पूर्णिमा तिथि बनी रहेगी. पूर्णिमा तिथि 29 जनवरी की रात 12.45 बजे तक रहेगी। पूर्णिमा का पुण्यकाल सुबह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रहेगा।