शोध में सामने आया कि जो लोग रोज २ से 3 घंटे हरियाली और पेड़ों के बीच चहलकदमी करते थे वे उन लोगों की तुलना में 20 फीसदी ज्यादा खुश और सेहतमंद थे जो ऐसा नहीं करते थे। ऐसे लोग दूसरों की तुलना में 60 फीसदी ज्यादा स्वस्थ और आशावादी थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि पार्क और हरियाली वाले क्षेत्र में प्रतिदिन दो घंटे से ज्यादा समय बिताने वालों में हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा, अस्थमा, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं और मृत्यु के जोखिम कम थे। जबकि ऐसे बच्चों में अच्छी सेहत, खुशी और इम्यूनिटी रेट भी बेहतर थी। ब्रिटेन में भी 20 हजार से ज्यादा लोगों पर ऐसा ही एक शोध हुआ था। जापान में हुए ऐसे ही एक शोध में पाया गया कि केवल प्राकृतिक वातावरण में निष्क्रिय बैठे रहने से भी उतना ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है जितना जिम या घर पर व्यायाम करने से मिलता है।
छूट रहा प्रकृति का साथ
औसतन बच्चे डिजिटल स्क्रीन के सामने दिन में 5 से 8 घंटे बिताते हैं। यानि बच्चों से प्रकृति का साथ छूटता जा रहा है। पहले जहां बच्चे पार्क में खेलने, घर बनाने और बाहर खेलने में घंटों बिताते थे, आज इनकी जगह वीडियो गेम, टेलीविजन और इन्डोर खेलों ने ले ली है। अब हमारे बच्चों का ग्रीन टाइम स्क्रीन टाइम से बदल गया है और इसका बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
मिलते हैं ये 10 फायदे
1- प्रकृति में समय बिताने वाले बच्चों की स्कूल परफॉर्मेंस अच्छी होती है।
2- ऐसे बच्चे ज्यादा क्रिएटिव और कल्पनाशील होते हैं।
3- खेल-कूद में भी ऐसे बच्चों का प्रदर्शन बहुत शानदार होता है।
4- टीम भावना, मिलकर काम करने की प्रवृत्ति, ज्यादा सामाजिकता और अपनत्व की भावना बढ़ती है। 5- ऐसे बच्चे मानसिक परेशानियों से उबरने में भी सक्षम होते हैं।
6- तनाव, चिंता, थकान, एकांकीपन और तेजी से मूड बदलने की आदत भी नहीं होती
7- बच्चों में ध्यान लगाने और चीजों के बारे में बेसिक समझ में भी वृद्धि होती है।
8- मजबूत हड्डियां, विटामिन डी की प्रचुरता, हृदय संबंधी बीमारियों सेे भी बच्चे सुरक्षित रहते हैं। आंखों की रोशनी बढ़ती है।
9- नींद अच्छी आती है और ऐसे बच्चों का भविष्य में सफल होने की उम्मीद भी ज्यादा होती है।
10- अच्छी और सेहतमंद जिंदगी के अलावा अपने बच्चों के साथ बाहर समय बिताने वाले माता-पिता के भी लंबे समय तक सेहतमंद बने रहने की आशा होती है।