सिसकती रात के साए में जब
खो जाएंगे दलवीर
शमां जल-जल कर पूंछेगी
कि परवाना नहीं आया। कविता-‘कहते हैं लिखने से मन हल्का हो जाता है’ पढऩे और सुनने के लिए यहां क्लिक कीजिए कविता-युवा आह्वान पढऩे और सुनने के लिए यहां क्लिक कीजिए
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