– वारंट तामिल : इसमें बताया गया कि बाहरी जिले के अपराधियों द्वारा अपराध करने पर वारंट तामिल कराने की व्यवस्था में बदला किया जाए। किसी भी थाना क्षेत्र में अपराध होने व अन्य मामलों संबंधित अपराधी और व्यक्ति का वारंट तामिल कराने के लिए उक्त थाना पुलिस को वारंट तामिल कराने के लिए अन्य जिलों में जाना पड़ता है। इससे समय और पैसा अधिक व्यय होता है। जबकि वारंट तामिल कराने वाले व्यक्ति के नहीं मिलने पर बार-बार चक्कर लगाना पड़ता है और यात्री वाहनों में सीट नहीं मिलने पर कांस्टेबलों को जोखिम में सफर करना पड़ता है। इस व्यवस्था में बदलाव कर वारंट तामिल पुलिस अधीक्षक कार्यालय के जरिए अपराधी के रहने वाले संबंधित थाने को भेजा जाए। उस थाने के बीट कांस्टेबल और बीट प्रभारी को वारंट तामिल की जिम्मेदारी दी जाए। इससे बीट प्रभारी और कांस्टेबल को क्षेत्र में रहने वाले अपराधियों की जानकारी रहेगी और वे उन पर निगाह रख सकेंगे। इससे वारंट तामिल में पुलिसकर्मियों का समय भी बर्बाद नहीं होगा और बीट कांस्टेबल की अपने क्षेत्र में पकड़ बढ़ेगी।
– कांस्टेबलों में ग्रेज्युट हैं, इसलिए सिपाही को धारा 107, 116 और 151 की कार्यवाही करने दी जाए। यह धाराएं अनुसंधान करने का शुरुआती चरण माना जाता है। भविष्य में पदोन्नति मिलने पर अच्छे अनुसंधान अधिकारी तैयार होंगे।
– गश्त व्यवस्था सहित पुलिस सुधार के कई सुझाव बताए गए हैं।