400 के मुकाबले यह 70 प्रतिशत तक कम रिकॉर्ड हुआ बीते पांच दिनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 400 के मुकाबले यह 70 प्रतिशत तक कम रिकॉर्ड हुआ। विशेषज्ञों की मानें तो पहाड़ों से आ रही ठंडी हवाओं के कारण बारिश से शहर के प्रदूषण में कमी आई है, जिस कारण से एसपीएम का स्तर नीचे आ जाता है और हवा स्वच्छ हो जाती है।
प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आंकड़ों की बात की जाए तो शहर में सिविल लाइन, सेठी कॉलोनी, परकोटा, शास्त्री नगर में बीते पांच दिनों से प्रदूषण खतरनाक स्थिति में था। बीते पखवाड़े में इन सभी जगहों पर एयर इंडेक्स 350 के ऊपर दर्ज हुआ।
तेज गर्मी और आंधी है नुकसानदायक
बढ़ते प्रदूषण के कारण सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों को ज्यादा खतरा रहता है। अस्थमा भवन के डायरेक्टर डॉ.वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि जिन लोगों को यह बीमारी है वह घर से बाहर बिल्कुल न जाएं, खासतौर पर भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचे।
बढ़ते प्रदूषण के कारण सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों को ज्यादा खतरा रहता है। अस्थमा भवन के डायरेक्टर डॉ.वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि जिन लोगों को यह बीमारी है वह घर से बाहर बिल्कुल न जाएं, खासतौर पर भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचे।
वहीं डब्लयूएचओ के आंकड़ों की बात की जाए तो 10 माइक्रोग्राम घनमीटर को प्रदूषण के लिहाज से बेहतर माना गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की तर्ज पर शहर में भी कृत्रिम बरसात करवाने की जरूरत है। तेजी से बढ़ते वाहनों, चूल्हा जलाने से बढ़ते धुआं के बीच विषैले तत्व श्वास से शरीर में जा रहे हैं।
यह है पीएम
पर्टिकुलर मैटर (पीएम) हवाओं में मौजूद धूल कण है। जिन्हें हम सामान्य रूप से देख नहीं पाते वह पीएम 2.5 होती है। जैसे बंद कमरे में सूर्य की रोशनी में धूल कण लड़ते हुए दिखाई देते हैं। पीएम 10 मोटे धूल कण माने जाते है।
पर्टिकुलर मैटर (पीएम) हवाओं में मौजूद धूल कण है। जिन्हें हम सामान्य रूप से देख नहीं पाते वह पीएम 2.5 होती है। जैसे बंद कमरे में सूर्य की रोशनी में धूल कण लड़ते हुए दिखाई देते हैं। पीएम 10 मोटे धूल कण माने जाते है।