परकोटे की हवेलियों को छोड़ अन्य कॉलोनियों में बसे कई परिवार आज भी सुबह चार बजे प्रभात फेरियों में शामिल होने के लिए चारदीवारी में आते हैं। मोहल्लों से सुबह मंडलियां साज बाज के साथ गाते बजाते गोविंददेवजी मंदिर की मंगला झांकी में शामिल होती हैं। झांकी के बाद भी देर तक मंडली के लोग गोविंद को अपने भजनों से रिझाते हैं। चौड़ा रास्ता के तेलीपाड़ा में दूसरे चौराहे से
शिव मंडल और मोती सिंह भोमियों का रास्ते में कल्याणकों के मोहल्ले का प्रेम मंडल करीब डेढ़ सौ साल से प्रभात फेरी निकाल रहा है। दूसरे मोहल्लों की मंडलियां भी संकीर्तन की फेरियां बरसों से निकाल रही हैं। मोती सिंह भोमियों का रास्ता निवासी प्रहलाद गूजर के मुताबिक कई मंडलियां आज भी कार्तिक माह में प्रभात फेरी की परम्परा को बरसों से निभा रही हैं। प्रेम मंडली में कई परिवारों के लोग बरसों जुड़े हैं।
तेलीपाड़ा में जाट का चौराहा और पुरन्दरजी की गली का शिव संकीर्तन मंडल करीब सवा सौ साल पुराना है। परिवारों की छठी सातवीं पीढ़ी के लोग संकीर्तन में शामिल होने दूर दराज से आते हैं। कालू लाल गूजर ने बताया कि कार्तिक मास में महिलाएं गोविंददेवजी आदि मंदिरों में जाती थीं। श्रद्धालुओं को समय पर जगाने और महिलाओं को सुरक्षा देने के लिहाज से इन भजन मंडलियों का गठन हुआ था। शिव मंडल के सुनील शर्मा दरबान ने बताया कि मंडलीं में शामिल महिलाएं भी पुरुषों से कुछ दूरी पर रहकर भगवान की लीलाओं के भजन गाती हुई चलती हैं। पूर्णिमा को रामधुनी के बाद प्रसाद वितरण के बाद मंदिर से वापस लौटते हैं। गोपाष्टमी पर गोपीनाथजी के मंदिर में और एक दिन चांदपोल हनुमानजी के यहां पर भी मंडलियां भजन गाते हुए जाती हैं।