परिवहन विभाग की जानकारी में मामला होने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है। जबकि विभाग की फ्लाइंग का काम ऐसे वाहनों की जांच पड़ताल का होता है। खास बात यह है कि ड्राइविंग स्कूल संचालक अपना मुनाफा कमाने के चक्कर में प्रशिक्षार्थियों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे हैं। कॉमर्शियल वाहनों का अलग बीमा होता है, लेकिन ऐसे में अगर कोई दुर्घटना घट जाए तो प्रशिणार्थियों को कोई राहत नहीं मिल सकती।
5 साल के जमा कराने पड़ते 50 हजार तक
परिवहन अधिकारियों का कहना है कि ड्राइविंग स्कूल चलाने के लिए पहले वाहनों का कॉमर्शियल कराना होता है। ऐसे में पांच साल के लिए करीब 50 हजार रुपए तक जमा कराने होते हैं। इसके अलावा 25 हजार रुपए तक इश्योरेंस के जमा कराने होते हैं। ऐसे में संचालक उन पैसों को बचाने के लिए निजी कारों का उपयोग कर रहे हैं।
यह है ड्राइविंग स्कूलों की स्थिति125 से अधिक ड्राइविंग स्कूल हैं
जयपुर जोन में
40 से अधिक ड्राइविंग स्कूल है जयपुर शहर में
350 से अधिक वाहन है इन स्कूलों में
200 से अधिक अवैध वाहनों का संचालन हो रहा है
3500 रुपए तक वसूलते हैं कार ड्राइविंग के
1500 रुपए निर्धारित है परिवहन विभाग की गाइड लाइन में
–एेसा करना गलत है। यहां तक कि ड्राइविंग स्कूल संचालक अपने वाहनों की भी सूची देते हैं। ऐसे में अगर वे उनके अलावा किसी अन्य वाहनों का उपयोग कर रहे हैं, तो उन पर परिवहन विभाग कार्रवाई करता है।
अनिल सोनी, डीटीओ