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जयपुर

मनमाने तलाक़ से आज़ादी

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद शाह बानो से लेकर शायरा बानो तक के सफर में मुस्लिम महिलाओं को वाकई क्या हासिल हुआ है, ये समझना भी जरूरी है।

जयपुरAug 23, 2017 / 12:02 am

पुनीत कुमार

Ptrika tv prime time debate on triple talaq
विशाल सूर्यकांत

ट्रिपल तलाक़ को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने ऐतिहासिक फ़ैसला दिया है। इस फ़ैसले ने करोड़ो मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी से मनमाने और एक तरफा तुरंत तलाक़ की गलत परम्परा से निजात दिला दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर करोडों लोगों की नजरें टिकी हुई थी। शाह बानों केस के बाद शायरा बानो तक के सफर में ये दूसरा ऐसा मामला है जिसमें देश में एक तबके की महिलाओं की सामाजिक बदहाली सुधारने के लिए कोई निर्णय दिया है। जाहिर हैं कि इस फैसले के बाद कई परिस्थितियां बदलेंगी…सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में बहुमत से ट्रिपल तलाक पर अंतरिम रोक लगाते हुए छह महीने के लिए रोक दिया है और तब तक केन्द्र और संसद के पाले में गेंद हैं कि किस रूप में मुस्लिम समुदाय के तलाक़ के मामलों को लेकर व्यवस्था तैयार करवाती है।
लेकिन वाकई बड़ा फैसला…इस रूप में जो उन महिलाओं की जिंदगी को सीधे प्रभावित करेगा जो ट्रिपल तलाक की व्यवस्था के फेर में पर्चियों से शुरु होते हुए स्पीड पोस्ट से लेकर वॉट्स अप तक से तलाक़ पा रही थी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश किसी में लिया जा रहा है…किस तरह से इसकी व्याख्या हो रही है और सबसे बड़ा सवाल कि इस फैसले के बाद केन्द्र सरकार क्या कुछ करने का इरादा रखती है….ये समझना जरूरी है…क्योंकि इस मामले में राजनीति के आरोप भी लगते रहे हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने इसका स्वागत किया है…लेकिन औबेसी सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर अपनी सधी प्रतिक्रिया दी लेकिन इस मौक़े पर भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला भी बोला। पूरे घटनाक्रम में कोर्ट परिसर से लेकर सोशल मीडिया के कॉरीडोर तक उठ रहे हैं कुछ सवाल…मसलन,
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का क्या होगा असर ?

छह महीने की रोक कैसे होगी लागू ?

संसद में आएगा कैसा क़ानून ?

फैसले के बाद सरकार की भूमिका क्या रहेगी ?
मुस्लिम समाज का क्या हैं नज़रिया

मूल याचिकाकर्ताओं के लिए इस फ़ैसले में क्या ?

ट्रिपल तलाक़ का मामला दिनों-दिन गंभीर रूप लेता जा रहा था। एक बार में तीन बार तलाक़ कहने की शुरुआत हुई और बात स्पीड पोस्ट,वॉट्सअप से तलाक पर जा पहुंची। शौहर की एक पल की सोच,एक पल का नज़रिया,उसका एक पल का गुस्सा…महिलाओं की जिंदगी किस रूप में बेनूर और बर्बाद कर सकता है। इसकी झलक एक बारी में ट्रिपल तलाक़ के मामलों में ये दर्द साफ दिखाई देता है…इस फैसले के बाद कई पहलू हैं…मसलन,कोर्ट के फैसले पर दोनों पक्षों के वकील क्या कहते हैं…याचिकाकर्ता और मुस्लिम धर्मगुरु क्या कहते हैं…? मुस्लिम परम्परावादी सोच बनाम प्रोग्रेसिव नजरिया…कानून की बारिकियों से अदालत के फ़ैसले की व्याख्या ज़रूरी है…
दरअसल, ट्रिपल तलाक को लेकर 22 देशों में बैन है…मौजूदा परिस्थितियों में इस्लामी और संवैधानिक कानूनों के मेल के नजरिए से श्रीलंका का कानून सबसे व्यावहारिक माना जाता है। दुनिया भर में 1929 से लेकर अब तक ट्रिपल तलाक को लेकर कई निर्णय हो चुके हैं। पाकिस्तान में 1956 में ही कानून बन गया लेकिन भारत में सामाजिक सुधार का ये मुद्दा कभी सामाजिक आंदोलन की शक्ल नहीं ले पाया। ट्रिपल तलाक़ और दुनिया के देशों में मिस्र दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां तीन तलाक को पहली बार बैन साल 1929 में मुस्लिम जजों की खंडपीठ ने सर्वसम्मति से तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया। साल 1929 में सूडान ने अपने देश में तीन तलाक को बैन कर दिया। पाकिस्तान में सन 1956 में ही तीन तलाक को बैन कर दिया गया था।
पाकिस्तान का किस्सा बेहद रोचक हैं जिसमें पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा ने 1955 में पहली पत्नी को तलाक दिए बिना अपनी सेक्रेटरी से शादी की थी। इसी घटना के बाद देशभर की महिलाएं उठ खड़ी हुईं और तीन तलाक को बैन कर दिया गया। पाकिस्तान से आजाद हुए बांग्लादेश ने भी संविधान में संशोधन कर तीन तलाक को बैन कर दिया। बांग्लादेश में तलाक से पहले यूनियन काउंसिल के चेयरमैन को शादी खत्म करने से जुड़ा एक नोटिस देना होता है। श्रीलंका में तीन तलाक को कई विद्वानों ने एक आदर्श कानून करार दिया। यहां मैरिज एंड डिवोर्स (मुस्लिम) एक्ट 1951 के तहत पत्नी से तलाक के लिए पति को एक मुस्लिम जज को नोटिस देना होगा। जिसमें उसकी पत्नी के रिश्तेदार, उसके घर के बड़े लोग और इलाके के प्रभावशाली मुसलमान भी शामिल होंगे। ये सभी लोग दोनों के बीच सुलह की कोशिश करेंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर 30 दिन बाद तलाक को मान्य करार दिया जाएगा। तलाक एक मुसलमान जज और दो गवाहों के सामने होता है। साल 1959 में इराक ने शरिया कोर्ट के कानूनों को सरकारी कोर्ट के कानूनों के साथ बदल दिया। इराक के पर्सनल स्टेटस लॉ के मुताबिक ‘तीन बार तलाक बोलने को सिर्फ एक ही तलाक माना जाएगा।
1959 के इराक लॉ ऑफ पर्सनल स्टेटस के तहत पति और पत्नी दोनों को ही अलग-अलग रहने का अधिकार है। करीब 74 फीसदी वाले देश सीरिया में तीन तलाक के सख्त प्रावधान,कोई भी पुरुष आसानी से पत्नी से अलग नहीं हो सकता है। यहां 1953 में बने कानून के तहत तलाक जज के सामने ही वैध माना जाता है। साइप्रस,जॉर्डन,अल्जीरिया,इरान,ब्रुनेई,मोरक्को,कतर और यूएई में भी तीन तलाक पर बैन है। देखिए वीडियो में किस तरह मुस्लिम समाज के लोग इस पहलू पर रख रहे हैं अपनी राय ….
ट्रिपल तलाक़ से पीड़ित महिलाओं के मामले लगातार जिस रूप में सामने आ रहे थे वो वाकई चिंताजनक बनते जा रहे थे। राजस्थान की आफरीन रहमान, इस मामले में प्रमुख तीन पेटिशनर्स में से एक थी। राजस्थान समेत कई राज्यों में में महिलाओं पर ट्रिपल तलाक़ के दंश झेला है। जयपुर की आफरीन, सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं आफरीन रहमान जयपुर की है। आफरीन को स्पीड पोस्ट से इंदौर से पति ने दिया तलाक़ दे दिया था। इसी तरह सीकर में रेशमा का मामला भी चौंकाने वाला है जहां पति ने कागज के टुकड़े पर तीन बार तलाक लिखा और उसे छोड़ दिया। जोधपुर में अफसाना बानो और शगुफ्ता को उनके पतियों ने पत्र भेजकर तलाक दे दिया। बाड़मेर में जहां पति की दूसरी शादी का विरोध करने पर पीड़िता को तलाक दे दिया गया।
उत्तरप्रदेश और बिहार में ऐसे कई मामले हैं। मसलन, कानपुर में आलिया सिद्दीकी के पति नासिर ने कोरियर से तीन तलाक भेज दिया। इसी तरह यूपी के अमरोहा में नेटबॉल की नेशनल प्लेयर शुमायला को उसके पति ने लड़की पैदा होने पर तलाक दे दिया। हैदराबाद में सुमायना नाम की महिला को अमेरिका में रह रहे उसके पति ने वॉट्सअप पर तलाक लिखकर भेजा। नजीराबाद यूपी में एक पैर से लाचार शबाना निशा को रात के वक्त पति ने तलाक दे दिया,देवरानी को बताया तो जबरन घर से निकाला। ऐसे मामलों पर मुस्लिम समाज के लोगों की राय और कानूनी पहलू देखिए इस वीडियो में…
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद शाह बानो से लेकर शायरा बानो तक के सफर में मुस्लिम महिलाओं को वाकई क्या हासिल हुआ है, ये समझना भी जरूरी है। तीन तलाक की जंग लड़ने वाली शायरा बानो का किस्सा सुनेंगे तो वाकई लगेगा कि कैसे कोई शौहर इतना अमानवीय हो सकता है। कोर्ट के फैसले के बाद अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। मसलन, मुस्लिम लीग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तीन तलाक पर अध्यादेश लाने में सरकार जल्दबाजी न करे।
उधर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्रिपल तलाक के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को एतिहासिक करार दिया। ट्वीटर पर मोदी ने लिखा कि सु्प्रीम कोर्ट का फ़ैसला ऐतिहासिक है। महिला सबलीकरण की और बडा कदम उठाया गया है। राहुल गांधी की ओर से भी इस फ़ैसले का स्वागत कर इसे महिलाओं के अधिकारों की रक्षा से जोड़ा है। कम्यनिष्ट पार्टी ने भी अपनी प्रतिक्रिया में इसका स्वागत किया है। देखिए इस वीडियो में कैसे बनेगी है ट्रिपल तलाक़ के मामले में भविष्य की राह…पत्रिका प्राइम टाइम डिबेट के इस हिस्से में….राजस्थान के नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया में इसका स्वागत किया।
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