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जयपुर

Rail Budget 2021: दस साल पुरानी घोषणाएं अब तक जमीन पर नहीं उतरी, इस बार राजस्थान को ये उम्मीदें

केन्द्र सरकार सोमवार को आम बजट के साथ जो रेल बजट पेश करेगी, उसे लेकर राजस्थान की उम्मीदें फिर परवान पर हैं। हालांकि दस साल पुरानी घोषणाएं ही अब तक जमीन पर नहीं उतर पाई हैं।

जयपुरFeb 01, 2021 / 10:23 am

santosh

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क

जयपुर। केन्द्र सरकार सोमवार को आम बजट के साथ जो रेल बजट पेश करेगी, उसे लेकर राजस्थान की उम्मीदें फिर परवान पर हैं। हालांकि दस साल पुरानी घोषणाएं ही अब तक जमीन पर नहीं उतर पाई हैं। केन्द्र और राज्य सरकार के बीच उचित सामन्जस्य नहीं बैठ पाने से राज्य की कई बड़ी योजनाएं फाइलों में ही दम तोड़ रही हैं। यही कारण है कि राजस्थान के सभी 25 सांसद भाजपा व सहयोगी दलों से होने के बावजूद राज्य के लोगों को मजबूत रेल नेटवर्क की सुविधा नहीं मिल पा रही है।

रेलवे के पूर्व अधिकारियों का कहना है कि केंद्र और राज्य के बीच सामंजस्य नहीं होने के कारण रेलमार्ग रतलाम-डूूंगरपुर वाया बांसवाड़ा, अजमेर-सवाईमाधोपुर वाया टोंक, चौथ का बरवाड़ा, मेमू कोच फैक्ट्री जैसी कई सौगातें बजट के अभाव में शुरू नहीं हो पा रही हैं। स्वीकृत होने के बावजूद ये प्रोजेक्ट पूरे होना तो दूर, शुरू भी नहीं हो पा रहे हैं। दस साल पहले की ऐसी कई सौगातें अधर में हैं।

वर्षों से अधूरे पड़े प्रोजेक्ट:
लाइन —— किलोमीटर —— स्वीकृति वर्ष —— अनुमानित लागत
रतलाम-डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा —— 177 —— 2011 —— 3500 करोड़ रुपए
अजमेर-सवाईमाधोपुर वाया चौथ का बरवाड़ा-टोंक नई लाइन —— 165 —— 2015 —— 875 करोड़ रुपए
पुष्कर-मेड़ता नई रेल लाइन —— 59 —— 2013 —— 325 करोड़ रुपए
अजमेर-कोटा वाया नसीराबाद नई लाइन —— 145 —— 2013 —— 825 करोड़ रुपए

धौलपुर-सरमथुरा-गंगापुर वाया करौली रेल मार्ग —— —— —— 2010 —— 2030 करोड़ रुपए
(परबतसर-किशनगढ़, भिवानी-लुहारू, आबू रोड-तारंगा हील वाया अम्बाजी, जैसलमेर-कांडला फोर्ट मार्ग के कार्य समेत कई प्रोजेक्ट केेंद्र-राज्य के विवादों में उलझे हैं। इसमें दोनों की भागीदारी होनी थी)

शुरू नहीं हुई मेमू कोच फैक्ट्री, दोहरीकरण भी अधूरा:
बजट 2013-14 में भीलवाड़ा में स्वीकृत हुई मेमू कोच फैक्ट्री का कार्य अब तक शुरू नहीं हुआ जबकि इसका शिल्यान्यास हो चुका है। राज्य सरकार ने रूपाहेली क्षेत्र में 1292.4 बीघा भूमि दी, रेलवे ने अधिग्रहीत भी की लेकिन काम शुरू नहीं किया। वहीं, जयपुर-सवाईमाधोपुर मार्ग, फुलेरा-डेगाना-राइका बाग रेलमार्ग का दोहरीकरण कार्य भी अधूरा है। खातीपुरा सैटेलाइट स्टेशन का काम भी धीमी गति से चल रहा है। भटेसरी में कोच केयर कॉम्पलेक्स शुरू नहीं हुआ।

कुछ काम हुए, कई पर कोरोना का साया:
डूंगरपुर-रायगढ़ सेक्शन 71 किमी हो गया। आरओबी, आरयूबी के 506 करोड़ के काम भी हुए। आदर्शनगर-मदार स्टेशन के मध्य 10 किमी नई लाइन स्थापित हुई। इसमें कई छोटे कार्य हुए लेकिन अन्य बड़ी घोषणाएं अभी अधूरी हैं। दोहरीकरण का कार्य चल रहे हैं।

इस बार राजस्थान को ये उम्मीदें:
– इन्फ्रास्टक्चर पर ज्यादा फोकस रहेगा।
– दिल्ली-अहमदाबाद रेलमार्ग को सेमी हाई स्पीड में बदला जाएगा। डीएफसी के इर्द-गिर्द औद्योगिक इकाइयों का निर्माण होगा।
– कई प्रमुख रेलमार्गों पर विद्युतीकरण कार्य पूरा। ऐसे में कई नई ट्र्रेनें शुरू होंगी, कई की स्पीड बढ़ेगी। हाई स्पीड ट्रेंने मिल सकती हैं।
– फंड के अभाव में बीकानेर-लालगढ़, अलवर-मथुरा समेत कई रेलमार्ग के दोहरीकरण, जोधपुर-बीकानेर मंडल में विद्युतीकरण, स्टेशनों के अपग्रेडेशन, सिक्युरिटी-सर्विलांस, इंटरलॉकिंग, सिगनल, आरओबी, आरयूबी समेत कई पूर्ववर्ती बजट घोषणाओं को भी मिल सकती है राशि।
– प्रमुख रेलवे स्टेशन व ट्रेनों को पीपीई मोड पर दिया जा सकता है।

एक्सपर्ट व्यू… सामंजस्य बैठाना होगा:
राज्य में रेेल नेटवर्क का विकास होना जरूरी है। सांसदों को दोनों सरकारों के मध्य सामंजस्य बैठाना होगा। इससे रोजगार भी मिलेगा। कोरोना के चलते नई परियोजनाओं के बजाय सरकार पूर्ववर्ती योजनाओं के लिए बजट दे और उन्हें शुरू कराए।
– डॉ. केएल इनखियां, पूर्व रेलवे अधिकारी

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