दोनों सीटें जीतेंगे
उपचुनाव में दोनों सीटें कांग्रेस जीतेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मैनेजमेंट और कैंपेन रहा। कार्यकर्ताओं और नेताओं को जो जिम्मेदारी दी गई थी, उन्होंने उसे निभाने में कसर नहीं छोड़ी। पिछले चुनाव में तो भावनात्मक मुद्दे भी चलाए गए थे लेकिन अब लोग समझ गए हैं।
अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री
कुशासन से लोग त्रस्त
जनता दस माह में कांग्रेस सरकार के कुशासन से त्रस्त हो गई है। सरकार निकाय चुनावों में जाने से डर रही है इसलिए रोजाना नए फार्मूले तलाशे जा रहे हैं। खींवसर सीट पर भाजपा-आरएलपी गठबंधन और मंडावा में भाजपा प्रत्याशी की भारी मतों से जीत होगी।
सतीश पूनिया, प्रदेशाध्यक्ष, भाजपा
कम मतदान से दोनों ही दलों में चिन्ता
खींवसर विधानसभा सीट पर इस बार केवल 62.66 प्रतिशत मतदान हुआ है। जबकि विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 75.58 प्रतिशत मत डाले गए थे। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार यहां करीब 13 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। पिछली बार यह सीट हनुमान बेनीवाल ने अपनी पार्टी से जीती थी। वहीं मंडावा विधानसभा सीट पर इस बार पिछली बार की तुलना में करीब 3 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। इस बार यहां 69.61 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि पिछली बार 72.92 प्रतिशत हुआ था। पिछली बार यह सीट भाजपा के नरेन्द्र खींचड़ ने जीती थी। बेनीवाल और खींचड़ के सांसद बनने के बाद दोनों ही दल इस बात को लेकर चिंतित हैं कि मतदान में भारी कमी का नुकसान किसे होगा। वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कम मत प्रतिशत कांटे की टक्कर की स्थिति दर्शा रहा है।
मंडावा में नजदीकी अंतर से हारी थीं रीटा चौधरी
पिछले विधानसभा चुनाव में मंडावा सीट से कांग्रेस से रीटा चौधरी ही प्रत्याशी थीं। तब भाजपा के नरेन्द्र खींचड़ ने चौधरी को 2346 मतों के मामूली अंतर से हराया था। इसके मद्देनजर कांग्रेस ने इस बार भी रीटा को ही प्रत्याशी बनाया। इस सीट पर अब मतदान 3 प्रतिशत कम होने से कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि इस बार नतीजा उसके पक्ष में आएगा। जबकि भाजपा का अनुमान है कि इस बार इस सीट पर पिछली बार से भी अधिक मतों से भाजपा जीतेगी। खींवसर विधानसभा सीट पर पिछली बार हनुमान बेनीवाल ने 16948 हजार मतों से जीत हासिल की थी। उन्होंने यहां कांग्रेस के सवाईसिंह चौधरी को हराया था। इस बार यहां 13 प्रतिशत का मत अंतर आया है। यहां आरएलपी के प्रत्याशी नारायण बेनीवाल और कांग्रेस के हरेन्द्र मिर्धा के बीच टक्कर है।