
अमित वाजपेयी
Rajasthan Assembly Election 2023 : राजस्थान में चुनाव के ठीक बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चुनावी माहौल में गर्मी ला दी है। हालांकि कांग्रेस और भाजपा दोनों में अंदरूनी खींचतान और क्षेत्रों में स्थानीय दावेदारों के बीच टिकट लेने की प्रतिस्पर्धा ने जमीनी स्तर पर चुनावी माहौल बनने से रोक रखा है। राज्य में नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पहले दिन कोई उत्साह नजर नहीं आया। महज 9 नामांकन दाखिए हुए कांग्रेस से सिर्फ एक और भाजपा से कोई नहीं।
राज्य में अब तक कांग्रेस-भाजपा सिर्फ 55 सीटों पर आमने-सामने प्रत्याशी तय कर सके हैं। अब भी 145 सीटों पर चुनावी दंगल की स्थिति स्पष्ट होना बाकी है। टिकट की आस की वजह से उन दावेदारों ने भी अभी पत्ते नहीं खोले हैं, जो टिकट कटने पर मैदान में आकर मुकाबला त्रिकोणीय बनाने का दम रखते हैं। क्षेत्रीय दलों को भी कुछ सीटों पर कांग्रेस-भाजपा से ठुकराए मजबूत दावेदारों का इंतजार है, चूंकि करीब 19 सीटों से दोनों दलों के दो या उससे अधिक मजबूत दावेदार चुनाव में उतरने को तैयार हैं। जैसे ही प्रमुख दल एक को टिकट घोषित करेंगे, वैसे ही क्षेत्रीय दल दूसरे को अपने झंडे के तले चुनाव में उतार देंगे।
बसपा, बीटीपी, रालोपा, सीपीएम ने बतौर क्षेत्रीय दल इस बार अपनी मौजूदगी का अहसास कराने के लिए ऐसी सीटों पर भी उम्मीदवार उतारे हैं, जहां अब तक कांग्रेस-भाजपा के बीच कमोबेश सीधा मुकाबला रहा है। ऐसी कुछ नई सीटों पर अपने उम्मीदवार उताकर क्षेत्रीय दलों ने उनके वोट बैंक में सेंधमारी के इरादे जता दिए हैं। आम आदमी पार्टी (आप) ने भी इस बार राज्य में उम्मीदवार उतारने के लिहाज से मजबूत एंट्री की है और अब तक 60 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। हालांकि क्षेत्रीय दलों के कुछ उम्मीदवार ‘जिताऊ’ से ज्यादा ‘वोट कटवा’ नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस और भाजपा में दरअसल टिकट बंटवारे से पहले दो खण्डों में मंथन चल रहा है। पहले खण्ड में वे सीटें हैं जहां पार्टी के पास एक से अधिक मजबूत दावेदार हैं और दूसरे खण्ड में वे सीटें जहां से अब मौजूदा विधायक अपने बेटे या परिवार के अन्य सदस्य को टिकट दिलाना चाहते हैं। खेमेबंदी से जूझती कांग्रेस में एक धड़े ने पहले ही तय कर लिया था कि परिवार में टिकट का विरोध किया जाएगा, क्योंकि दूसरे खेमे के दो बड़े नेता अपने परिवार के लिए टिकट की मांग कर रहे थे। अब दोनों ही खेमे के कुछ ऐसे नेता सामने आ गए हैं जो अपने बच्चों के लिए टिकट की आस लगाए बैठे हैं। लिहाजा अब दोनों खेमों के बीच सहमति नहीं बन पा रही। भाजपा के टिकट की मांग अपेक्षाकृत ज्यादा है। ऐसे में पार्टी के लिए जिताऊ उम्मीदवार तलाशना थोड़ा मुश्किल हो रहा है।
Published on:
31 Oct 2023 11:05 am
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