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जयपुर

मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तो विस्फोट होगा और घोड़े अस्तबल में चले जाएंगे-राठौड़

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सोमवार को कृषि की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान हॉर्स ट्रेडिंग मामले में सरकार पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि 19वीं पशु गणना में प्रदेश में घोड़े 38 से 34 हजार रह गए। सीएम रोज हॉर्स ट्रेडिंग की बात करते हैं। कोई कमी खामी रह गई क्या, जो आपने इतनी खरीद फरोख्त करा दी कि ये इतने कम रह गए।

जयपुरMar 15, 2021 / 03:03 pm

Umesh Sharma

मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तो विस्फोट होगा और घोड़े अस्तबल में चले जाएंगे-राठौड़

मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तो विस्फोट होगा और घोड़े अस्तबल में चले जाएंगे-राठौड़

जयपुर।

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सोमवार को कृषि की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान हॉर्स ट्रेडिंग मामले में सरकार पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि 19वीं पशु गणना में प्रदेश में घोड़े 38 से 34 हजार रह गए। सीएम रोज हॉर्स ट्रेडिंग की बात करते हैं। कोई कमी खामी रह गई क्या, जो आपने इतनी खरीद फरोख्त करा दी कि ये इतने कम रह गए। राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में घोड़ा खरीदने में किसकी क्या भूमिका रही। मुख्यमंत्री ने घोड़ा खरीद में क्या निर्वहन किया, कितने घोड़े खरीदे, यही तो प्रश्न है। राठौड़ ने कहा कि जब मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तो विस्फोट होगा और घोड़े अस्तबल में ले जाएंगे।
राठौड़ ने कहा कि उंट और गधे लुप्त हो रहे हैं। जब गधे की गणना हो रही थी, तब सरकार पांच सितारा होटल में थी। सरकार को वैसाखनंदन की चिंता करनी चाहिए। गधे पूरा दिन मालिक के कहने से काम करता है और रात को वापस चला जाता है। फिर वापस लौट के घर को आता है। ये वैसाखनंदन संस्कृति के लोग हैं। राठौड़ ने सोमवार को कृषि की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान सरकार को घेरा और कहा कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों में चार लाइनें ऐसी बता दें जिनसे किसानों का अहित हो रहा हो। उन्होंने केंद्र सरकार के कृषि हितों को लेकर किए गए प्रयासों की सराहना के साथ ही राजस्थान सरकार पर जुबानी हमले किए। राठौड़ ने कहा कि कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग में कहां है कि किसान की जमीन पर कब्जा कर लिया जाएगा। पंजाब में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग शुरू भी क दी थी। आपके घोषणा पत्र में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग का उल्लेख है, मगर अब पीएम मोदी फैसला कर रहे हैं तो आप बरगलाने में लग रहे हो। आपकी सरकार के समय स्वामीनाथन आयोग बना और आयोग ने दिसंबर, 2004 से 2006 तक पांच प्रतिवेदन दिए। आप सात वर्ष तक इन प्रतिवेदनों पर विराजे रहे। मगर मोदी सरकार ने इन सिफारिशों को लागू किया है। केंद्रीय बजट में भी साफ किया कि एमएसपी जारी रहेगी। इस बार भी एमएसपी बढ़ाई गई है। यही वजह है कि किसानों को 75 हजार करोड़ रुपए गेहूं खरीद और 1.72 लाख करोड़ रुपए धान की खरीद में मिले हैं। जो अब तक सर्वाधिक है।
141 विधायकों का पेशा है कृषि

राठौड़ ने कहा कि विधानसभा की डायरी में 141 विधायकों ने खुद का व्यवसाय कृषि बताया है। खुद कृषिमंत्री भी कृषि व्यवसाय करते हैं। हमारी संस्कृति कृषि पर जिंदा है। कोरोना महामारी की गिरफ्त में होने के बाद भी प्रदेश के किसानों ने कमाल किया है। इस महामारी में कृषि क्षेत्र में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। मगर अफसोस है कि जो इकोनॉमक इंडिकेटर दिया गया है, उसमें राजस्थान में औसत जोत का आकार 2.73 हैक्टेयर है। इससे साफ है कि आम किसान सीमांत और लघु सीमांत की श्रेणी में खड़ा हो गया है। इसके पीछे वजह है कि किसान की जोत बंटती चली गई।
कानून को काला बताकर भ्रमित कर रहे हैं

राठौड़ ने कहा कि हमने जाति के नाम पर किसानों को बांटा और अब कानून को काला बताकर किसान को भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है। किसानों पर पहले किसी भी सरकार ने किसान पर ध्यान नहीं दिया। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ग पर ध्यान दिया और 56 इंच वाले मोदी ने किसान की आय दुगुनी करने की दिशा में काम शुरू किया है।
रिकॉर्ड में दर्ज करवा रहे हो, पैसे तो दिलवाओ

राठौड़ ने स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा की ओर इशारा करते हुए कहा कि केकड़ी से आने वाले सदस्य की पुश्तैनी जमीन है, मुझे पता है। उनके खाते में भी छह हजार रुपए आ रहे हैं। इस पर शर्मा ने कहा किये रिकॉर्ड में दर्ज करवा रहे हैं, इसलिए पैसे तो दिलवाओ। इस दौरान दोनों तरफ से मजाकिया अंदाज मं नोंक—झोंक होती रही।
सरसासें की खरीद नहीं कर पाई सरकार

राठौड़ ने सरकार पर हमला बोला और कहा कि 2020—21 में 39 लाख मीट्रिक टन सरसों की पैदावार हुई। केंद्र ने 10 लाख मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य दिया, लेकिन आपने केवल 3 लाख मीट्रिक टन ही खरीद की। किसानों को फसल का उचित मूल्य दिलाने की पुख्ता व्यवस्था करने की बात की जाती है और किसान सस्ते में फसल बेचने को मजबूर है। बजट में कृषक विद्युत वितरण कंपनी खोलने की घोषणा की है। 2019 में सीएम ने कहा था कि हम बिजली में सरप्लस हो गए हैं, फिर बिजली कंपनी बनाने की जरूरत क्या है। राठौड़ ने सरकार पर बिजली खरीद में चांदी कूटने के भी आरोप लगाए।

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