यह एफआईआर दलाल मुर्तजा अंसारी और फोर्टिस अस्पताल प्रशासन व उसके डाक्टर्स के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 419, 471, 120 बी में दर्ज करवाई गई है। इसमें मानव अंग एवं उतक प्रत्यारोपण अधिनिय 1994 का जिक्र नहीं है। विभाग ने सिर्फ धोखाधड़ी और जाली दस्तावेज बनाने के मामले की जांच की अनुमति दी है। रिपोर्ट में विभाग ने यह स्वीकार किया है कि जयपुर में अंगों की खरीद फरोख्त धड़ल्ले से हो रही थी। मरीज और डोनर के बीच आपस में कोई रिश्तेदारी नहीं होती और न ही वे आपस में जानते थे। डोनर व मरीज से केवल खाली कागजों पर हस्ताक्षर करवाए जाते थे और उन्हें सीधे ऑपरेशन थिएटर में ले जाया जाता था। पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने मालवीय नगर एसीपी आदित्य पूनिया की गुरुग्राम में प्राथमिक जांच के बाद जो रिपोर्ट सरकार को भेजी थी, उसी रिपोर्ट को आधार मानते हुए अंग प्रत्यारोपण की समुचित प्राधिकारी डॉ. रश्मि गुप्ता ने एफआईआर दर्ज करवाई। जयपुर कमिश्नरेट पुलिस को भी लंबे समय से गिरोह के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एफआईआर दर्ज होने का इंतजार था। अब जयपुर कमिश्नरेट पुलिस को निष्पक्ष जांच कर अंगों की खरीद फरोख्त करने वाले रैकेट में शामिल सभी लोगों को उजागर कर कार्रवाई करनी होगी।
एक अप्रेल, फिर 4 अप्रेल को हुआ खुलासा
राजस्थान एसीबी ने एक अप्रेल को एसएमएस अस्पताल की कमेटी के नाम से तीन वर्ष में अंग प्रत्यारोपण की 800 फर्जी एनओसी जारी करने के मामले का खुलासा किया था। इसके बाद हरियाणा मुख्यमंत्री की फ्लाइंग स्क्वॉयड, स्वास्थ्य विभाग और गुरुग्राम पुलिस ने 4 अप्रेल को गुरुग्राम के एक गेस्ट हाउस पर छापा मारकर अंगों की खरीद फरोख्त के बाद जयपुर के फोर्टिस हॉस्पिटल में अंग प्रत्यारोपण करने के मामले का खुलासा किया था।
पत्रिका सबसे पहले
एसीबी और गुरुग्राम पुलिस की ओर से अंग प्रत्यारोपण के मामले में भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़ा कर अंगों की खरीद फरोख्त करने के मामले उजागर करने के बाद राजस्थान पत्रिका ने रैकेट के खिलाफ लगातार खबरें प्रकाशित की और सबसे पहले पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने का मुद्दा उठाया था। चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर से साक्षात्कार में भी पत्रिका ने एफआईआर दर्ज नहीं करवाने का सवाल किया था।
एसीपी को सौंपी जांच, विशेष टीम का गठन चुनाव बाद
मामले की जांच एसीपी गांधी नगर को सौंपी है। चुनाव बाद विशेष टीम का गठन किया जाएगा।
बीजू जॉर्ज जोसफ, कमिश्नर, जयपुर पुलिस कमिश्नरेट