राजस्थान: गहलोत सरकार के यू-टर्न पर BJP नेताओं में श्रेय लेने की होड़! जानें कैसे खुद की झोली में डाल रहे 'जीत'
पंचायतों को भुगतान मामले पर सियासत मामला, सरकार ने वापस लिया पीडी व्यवस्था लागू करने का निर्णय, अब पंचायतों को भुगतान की पुरानी व्यवस्था ही रहेगी जारी, मुख्यमंत्री के निर्णय के बाद भाजपा नेताओं ने जारी किये बयान, सरकार को बैकफुट पर लाने में खुद का श्रेय लेते दिखाई दिए नेता, सांसद डॉ किरोड़ी मीणा, सतीश पूनिया और सांसद रामचरण बोहरा के बयानों में दिखी झलक

नकुल देवर्षि/ जयपुर।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पंचायतों में पूर्व की वित्तीय व्यवस्था जारी रखने के निर्देश क्या दिए भाजपा नेताओं में श्रेय लेने की होड़ सी मच गई। खास तौर से राज्य सभा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया और जयपुर सांसद रामचरण बोहरा सरकार को ‘बैकफुट’ में आने पर खुद क्रेडिट लेते दिखाई दिए। तीनों ही नेताओं ने खुद की पीठ थपथपाते हुए बयान जारी करने में ज़रा भी देर नहीं की।
'पंचायतों को धिकार दिलाने बैठा धरने पर': डॉ किरोड़ी मीणा
दौसा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने कहा, ‘मैं ग्राम पंचायतों, सरपंचों और किसानों के अधिकारों की लड़ाई के लिए दिन-रात धरने पर बैठा हुआ हूं। मैंने राज्य सरकार के ग्राम पंचायतों के वित्तीय अधिकारों में कटौती का विरोध किया और विरोधस्वरूप धरने पर बैठा हूँ। मुझे ख़ुशी इस बात की है कि मेरी आवाज़ राज्य सरकार और मुख्यमंत्री तक पहुंची। इसका परिणाम ये निकला है कि अब पीडी खाते की बजाये पहले की तरह ग्राम पंचायतों और सरपंचों के पास सीधा पैसा जाएगा। इसके लिए मैं मुख्यमंत्री का धन्यवाद और आभार प्रकट करता हूँ।'
. @ashokgehlot51 जी आपने पीडी सिस्टम लागू नहीं करके बैंकों के माध्यम से ही ग्राम पंचायत में भुगतान जारी रखने के निर्देश दिए इसके लिए आपका आभार
— Dr. Kirodi Lal Meena (@DrKirodilalBJP) January 24, 2021
मेरी यह भी मांग है की:-
●बिजली बिलो में किसानों को मिलने वाली ₹833 की सब्सिडी पुनः मिले 1/2 @rpbreakingnews @harshkhatana13 pic.twitter.com/c4iDUgRR57
'हमने पहले ही पहा तुगलकी फरमान वापस लो': पूनिया
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 21 जनवरी को लिखे पत्र का हवाला देते हुए श्रेय लेते नज़र आये। उन्होंने ट्वीट में पूर्व में हुए पत्राचार का ज़िक्र किया और कहा कि हमने सरकार से पहले ही इस तुगलकी फरमान को वापस लेने के लिए दबाव बनाया था। हमने कहा था कि इस व्यवस्था से ग्रामीण विकास के काम ठप होंगे और पंचायती राज की वित्तीय स्वायत्तता खत्म होगी। अब जनमत के आगे जनविरोधी गहलोत सरकार को घुटने टेकने पड़ गए हैं।
आखिरकार, कांग्रेस पार्टी की अशोक गहलोत सरकार ने जनमत के सामने घुटने टेके और पंचायतीराज के तुगलगी फरमान को वापस लेना पड़ा।
— Satish Poonia (@DrSatishPoonia) January 24, 2021
आज यह साबित हो गया कि हिलती-डुलती, लुंज-पुंज यह कमजोर सरकार नैतिक रूप से भी कमजोर हो चुकी है।#2_साल_राजस्थान_बेहाल https://t.co/0f0EWLSHcl pic.twitter.com/dfR0dJM6Xb
'मेरे पत्र के बाद लिया गया निर्णय': बोहरा
जयपुर सांसद रामचरण बोहरा ने भी सरकार के फैसले को स्वयं की ओर से मुख्यमंत्री से किये पत्राचार की वजह बताया। सांसद बोहरा ने भी सीएम को पूर्व में लिखे पत्र का हवाला ददते हुए ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, 'मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी को सरपंचों के संवैधानिक वित्तीय अधिकारों में की जा रही कटौती को लेकर 15 जनवरी को पत्र लिखा था, जिस पर सरकार द्वारा उस निर्णय को वापस ले लिया है। इस निर्णय को प्रत्याहारित करने से से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य को गति मिलेगी।'
मुख्यमंत्री @ashokgehlot51 जी को सरपंचों के संवैधानिक वित्तीय अधिकारों में की जा रही कटौती को लेकर 15 जनवरी को पत्र लिखा था, जिस पर सरकार द्वारा उस निर्णय को वापस ले लिया है। इस निर्णय को प्रत्याहारित करने से से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य को गति मिलेगी।@DrSatishPoonia pic.twitter.com/VkB6PJPiA9
— Ramcharan Bohra (@RamcharanBohra) January 25, 2021
सरपंचों ने भी जताया था पुरजोर विरोध
राज्य सरकार के बैकफुट पर आने को लेकर भले ही भाजपा नेता श्रेय लेने की होड़ में दिखाई दे रहे हों, लेकिन पिछले दिनों पूरे प्रदेश में सरपंचों ने भी एकजुट होकर इस व्यवस्था का विरोध किया था। सरपंचों ने इसे राज्य सरकार का तुगलकी फरमान करार देते हुए ग्राम पंचायतों पर तालाबंदी कर विरोध जताया था।
यूं लिया सरकार ने ‘यू-टर्न’
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पंचायतों की भुगतान व्यवस्था को पूर्व की भांति बैंकों के माध्यम से जारी रखने का फैसला लेते हुए यू-टर्न ले लिया। सरकार ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से सरपंचों ने पंचायतीराज संस्थाओं एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं के भुगतान के लिए बैंक खातों के स्थान पर पीडी खाता प्रणाली को लागू करने के संबंध में व्यावहारिक समस्याओं से अवगत कराया था। इन समस्याओं के निदान को देखते हुए निर्णय लिया गया कि पंचायतों की भुगतान व्यवस्था को पूर्ववत् जारी रखा जाए, ताकि पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास से संबंधित कार्यों में किसी तरह की व्यावहारिक बाधाएं न आए।
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