गौरतलब है कि केंद्रीय कृषि कानून और इसके विरोध में शुरू हुआ किसान आंदोलन भाजपा के लिए सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ था। करीब एक साल तक चले आंदोलन के दौरान राजस्थान में भी किसानों ने भाजपा का जमकर विरोध किया था। भाजपा के सांसदों, विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों को किसानों के विरोध का सामाना करना पड़ रहा था।
मोदी सरकार के गढ़ रहे कसीदे
बाड़मेर-जैसलमेर संगठनात्मक प्रवास पर निकले भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने शनिवार को भी मोदी सरकार की किसान हितैषी योजनाओं के जमकर कसीदे गढ़े। उन्होंने जैसलमेर के फतेहगढ़ में एफपीओ उद्घाटन कार्यक्रम में किसानों को संबोधित करते हुये कहा कि, मोदी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं में से प्रमुख एफपीओ के ज़रिये किसान अच्छी पैदावार से लेकर अच्छी कीमत सुनिश्चित करने में सफल हो रहे हैं।
किसानों की उन्नति के लिए हो रहे नवाचार
पूनिया ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की उन्नति के लिए नवाचार के विजन के साथ काम कर रही है। सॉइल हेल्थ कार्ड, पीएम किसान सम्मान निधि, एमएसपी जैसी किसान कल्याणकारी योजनाएं केंद्र सरकार ही संचालित कर रही है।
‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर’ स्कीम पर ज़ोर
किसानों के बीच जाकर दुनिया की सबसे बड़ी ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर’ स्कीम के प्रचार पर भी ज़ोर दिया जा रहा है। डॉ पूनिया बताते हैं कि डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर स्कीम की ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ के तहत मोदी सरकार किसान को हर तीन महीने में 2 हजार रूपए, साल के 6 हजार रूपए भेज रही है, जो दुनिया की सबसे बड़ी है। अब तक मोदी सरकार देश के 11.50 करोड़ किसानों को 1.60 हजार करोड़ राशि सीधे खातों में भेज चुकी है।
डॉ पूनिया ने कहा कि एफपीओ से किसान अपनी फसल का स्वयं भंडारण करने में सक्षम हो रहा है, जिससे बिचौलियों पर निर्भरता की जरूरत नहीं पड़ेगी। यही वजह है कि किसानों को संयुक्त रूप से मोदी सरकार की एफपीओ योजना का लाभ उठाने पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है।
मोदी से लेकर स्व. वाजपेयी तक का ज़िक्र
किसानों के बीच केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं पर अपनी बात रखते हुए डॉ. पूनिया ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड से लेकर फसल बीमा की सौगात वाजपेयी और उनके दौरान रही सरकार ने ही दी। उन्ही योजनाओं को अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मजबूती के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।
आसान नहीं रहेगा ‘विश्वास’ जीतना
किसानों की सबसे बड़ी नाराज़गी रही कृषि कानूनों की वापसी भले ही हो गई हो, लेकिन कांग्रेस के परम्परागत वोट बैंक माने जाते रहे किसानों के बीच पैठ ज़माना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। यही वजह है मिशन 2023 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के नेता एक बार फिर सक्रीय हो गए हैं। प्रदेश नेतृत्व की ओर से भी नेताओं को किसानों के बीच जाकर मोदी सरकार की योजनाओं का बखान करने और राज्य की गहलोत सरकार की जनविरोधी नीतियों का प्रचार करने के निर्देश दिए गए हैं।