एकजुटता का प्रदर्शन होगा प्रस्ताव
जानकारों की माने तो भाजपा का अविश्वास प्रस्ताव लाने के पीछे मकसद पार्टी की एकजुटता दिखाना है। इस प्रस्ताव के ज़रिये पार्टी अपने सभी 72 विधायकों की एकजुटता से कई सियासी संकेत देने की कोशिशों में है। गौरतलब है कि पिछले दिनों भाजपा के विधायकों के बीच गुटबाजी और विरोधी खेमे का समर्थन करने की खबरें जोर पकडे हुए थी। इसलिए अब इसे पार्टी का ‘अविश्वास प्रस्ताव’ से कहीं ज़्यादा ‘एकता प्रस्ताव’ माना जा रहा है। भाजपा ने अभी तक किसी तरह का व्हिप भी जारी नहीं किया है।
दरअसल, सरकार ने इस बात की पहले ही घोषणा कर दी है कि वो भाजपा के ‘अविश्वास प्रस्ताव’ से पहले ही सदन में ‘विशवास प्रस्ताव’ लेकर आएगी। वहीँ सदन के नियम-प्रक्रियाओं के अनुसार भी ‘विशवास’ और ‘अविश्वास’ प्रस्ताव के साथ मिलने की स्थिति में पहले ‘विशवास’ प्रस्ताव लाने की अनुमति मिलने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि भाजपा अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो वो फेल हो सकता है।
भाजपा यदि अविश्वास प्रस्ताव लेकर आती है तो ऐसी भी संभावना है कि स्पीकर उसकी ज़रुरत महसूस नहीं करने की स्थिति में खारिज कर सकते हैं।