मिर्धा ने पहले बजट में कोई टैक्स नहीं लगाया गया था। फिर राज्य में सूखा, पेयजल, सिंचाई, कानून व्यवस्था, राज्य के विकास, वित्तीय प्रबंधन जैसे मुद्दों को शामिल करते हुए बजट बनाया गया। राजस्थान में पहली विधानसभा में 160 सीटें थी, जिसे बाद में 1957 में 176, 1967 में 184 और 1977 में 200 सीटों तक बढ़ाया गया। पहला बजट 4 अप्रैल 1952 को राजस्थान विधानसभा में पेश किया गया था। जो 17.25 करोड़ रुपए का था। यह बजट सूखे से निपटने के साथ कानून व्यवस्था और वित्त प्रबंधन पर फोकस किया गया था।
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आजादी के बाद विधानसभा में राज्य का पहला बजट वित्तीय वर्ष 1952-53 के लिए था। पहला बजट पेश हुए 70 साल हो गए हैं। 70 साल पहले पेश किए गए पहले बजट और मौजूदा बजट में काफी अंतर है, पिछला बजट 2.50 लाख करोड़ का था। मौजूदा दौर में विकास योजनाओं में खर्च के लिए सरकार कर्ज पर ही निर्भर है। साल 2021-22 का बजट 2.50 लाख करोड़ था। इसमें 2 लाख 8 हजार करोड़ रुपये राजस्व व्यय यानी वेतन भत्ते और सरकार के आवर्ती खर्चों के लिए थे। केवल 42 हजार करोड़ रुपए पूंजीगत व्यय के लिए थे। यह भी पढ़ें