राजनीतिक नियुक्तियों की मदद से बड़ी संख्या में विधायकों को संतुष्ट किया जाएगा। सियासी संग्राम के बाद कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व गंभीर तो है लेकिन जल्दबाजी में नहीं। संकट को स्थायी तौर पर समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के खेमों से सलाह के बाद ही मंत्रिमंडल फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों पर विचार किया जाएगा।
यों किया जाएगा एडजस्ट…
मंत्रिमंडल…
राज्य मंत्रिमंडल में अधिकतम 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं। फिलहाल मुख्यमंत्री समेत 22 मंत्री है। इनमें भंवरलाल मेघवाल की तबीयत खराब है। शिक्षा मंत्री गोविन्द डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा चुका है। इन दोनों की जगह भी किसी अन्य विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है। इस तरह 10 विधायकों को मंत्रिमंडल में सीधे तौर पर जगह मिल सकती है। वहीं प्रदर्शन के आधार पर कुछ मंत्रियों को हटाकर उनकी जगह दूसरे विधायकों को मौका दिया जा सकता है।
विधानसभा उपाध्यक्ष…
विधानसभा में उपाध्यक्ष पद खाली है। इसको भी पार्टी जल्द ही भरेगी।
संसदीय सचिव…
छत्तीसगढ़ की तरह राजस्थान में भी 15 से 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर कुछ विभागों की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
राजनीतिक नियुक्ति:
करीब 20 से अधिक आयोग, बोर्ड, निगम, समितियों में विधायकों को अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों के तौर पर नियुक्ति देने की तैयारी है।
संगठन…
प्रदेश कार्यकारिणी के साथ अग्रिम संगठनों, प्रकोष्ठ व विभागों के साथ जिलाध्यक्षों का फेरबदल तय है। इनमें भी करीब 20 से 30 विधायकों को एडजस्ट किया जाएगा।
दिल्ली में हो चुका है विवाद:
दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पिछले कार्यकाल में 20 विधायकों के संसदीय सचिव की नियुक्ति से बखेड़ा खड़ा हो गया था। चुनाव आयोग ने इनकी सदस्यता निरस्त कर दी। यह मामला राष्ट्रपति तक पहुंचने के बाद सुलझा।
अरूणाचल में बनाए थे 31 संसदीय सचिव:
अरूणाचल प्रदेश में भाजपा ने कांग्रेस में टूट का फायदा उठाकर 2016 में सरकार बनाई थी। इस छोटे से राज्य में कुल विधायक 60 है। इनमें से 31 विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर भाजपा ने संतुष्ट किया था।