वहीं धरने को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि देश की जनता ने मोदी को मन की बात सुनने के लिए नहीं बल्कि किसान, महिलाएं और मध्यम वर्ग की बात सुनने और उनकी समस्याएं दूर करने के लिए देश का प्रधानमंत्री बनाया था। पीसीसी चीफ ने पेट्रोल डीजल की बढ़ी दरों और कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार को जमकर घेरा ।
धरने में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने मोदी सरकार को घेरते हुए कहा की जिन कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसान कड़ाके की सर्दी में सड़क पर बैठे हैं, लेकिन मोदी सरकार और भाजपा के नेता उन्हें नक्सली और अलगाववादी बता रहे हैं जबकि किसान उग्रवादी नहीं बल्कि भगत सिंह के मानने वाले हैं। खाचरियावास ने कहा कि आंदोलन में 60 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं लेकिन सरकार हठधर्मिता अपनाए हुए हैं।भाजपा नेताओं में दम है तो वह किसानों के बीच जाकर इन कानूनों के फायदे गिनाए। उन्होंने कहा कि भाजपा आत्मनिर्भर भारत की बात करती थी लेकिन अब किसानों की रोटी छीन रही है किसान आत्महत्या कर रहे हैं भाजपा नेता देख रहे हैं।
वही पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा कि धरने पर बैठे किसानों को अलगाववादी कहा जा रहा है उनका मजाक बनाया जा रहा है। पायलट ने कहा कि देश की मोदी सरकार ने सबसे सबसे पहले आक्रमण मध्यम वर्ग को युवा पर किया लेकिन इस बार आक्रमण किसानों पर किया है जो बर्दाश्त के लायक नहीं है। पायलट ने कहा कि अगर केंद्र सरकार जिद्द पर है तो हमें भी आंदोलन तेज करना पड़ेगा क्योंकि सरकार आती रहेंगी जाती रहेंगी लेकिन हम यह कानून वापस नहीं करा पाए तो आने वाला वक्त हमें माफ नहीं करेगा।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि संसद में कांग्रेस और विपक्ष ने इन कानूनों का विरोध किया था और इनके ख़िलाफ़ में वोटिंग कराने की मांग की थी लेकिन सभापति ने हमारी मांग को अनसुना किया और आनन-फानन में बिल पारित करा दिए, जिससे साफ है कि कहीं न कहीं यह बिल केवल कॉर्पोरेट को ध्यान में रखकर बनाए गए थे। डांगी ने कहा कि मोदी सरकार को लगता है कि किसान धरने से उठ जाएंगे लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम कि किसान जब तक पीछे नहीं हटेगा जब तक कानून को वापस नहीं लिया जाएगा उन्होंने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में पुरजोर तरीके से किसानों की आवाज उठाएंगे।
धरने को कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री नमो नारायण मीणा, विधायक संयम लोढ़ा , पूर्व मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ , प्रदेश के प्रभारी तरुण कुमार और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव कुलदीप इंदौरा ने भी संबोधित किया और कानूनों की खामियां गिनाई।
वहीं धरने में प्रदेश कांग्रेस की उम्मीद से ज्यादा कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ी। कार्यकर्ताओं की भीड़ के चलते कोरोना डिस्टेंसिंग की धज्जियां भी उड़ती हुई नजर आई।
हालांकि मंच से कई बार कोरोना गाइडलाइन की पालना करने और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करने के अपील की जा रही थी लेकिन कार्यकर्ताओं की भीड़ के चलते गाइडलाइन की पालना नहीं हो पा रही थी।
दूसरी और धरना समाप्त होने के बाद प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के नेतृत्व में राजभवन का सांकेतिक घेराव किया।मंच से उतरकर जैसे ही कार्यकर्ता और नेता सिविल लाइन्स फाटक की तरफ बढ़ने लगे तो पुलिस ने बैरिकेड लगाकर नेताओं को आगे जाने से रोक दिया।
प्रदेश कांग्रेस की नवगठित क कार्यकारिणी बनने के बाद यह पहला धरना प्रदर्शन था जिसमें पदाधिकारियों ने भीड़ जुटाने में पूरी ताकत लगा दी थी। धरने में जयपुर और उसके आसपास के जिलों से भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं नेता धरने में शामिल हुए