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जयपुर

केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस का हल्ला बोल, डोटासरा बोले-मन की बात सुनने के लिए नहीं चुना पीएम

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ और आंदोलनरत किसानों के समर्थन में प्रदेश कांग्रेस ने शुक्रवार को जयपुर में हल्ला बोला, साथ ही राज भवन का सांस्कृतिक घेराव कर मोदी सरकार को चेतावनी भी दी कि जब तक कानून वापस नहीं लिया जाता तब तक कांग्रेस के धरने प्रदर्शन जारी रहेंगे।

जयपुरJan 15, 2021 / 04:51 pm

Kamlesh Sharma

Rajasthan Congress protest against farm laws in jaipur

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ और आंदोलनरत किसानों के समर्थन में प्रदेश कांग्रेस ने शुक्रवार को जयपुर में हल्ला बोला, साथ ही राज भवन का सांस्कृतिक घेराव कर मोदी सरकार को चेतावनी भी दी कि जब तक कानून वापस नहीं लिया जाता तब तक कांग्रेस के धरने प्रदर्शन जारी रहेंगे।

फिरोज सैफी/जयपुर। केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ और आंदोलनरत किसानों के समर्थन में प्रदेश कांग्रेस ने आज जयपुर में हल्ला बोला, साथ ही राज भवन का सांस्कृतिक घेराव कर मोदी सरकार को चेतावनी भी दी कि जब तक कानून वापस नहीं लिया जाता तब तक कांग्रेस के धरने प्रदर्शन जारी रहेंगे।
केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी जयपुर के सिविल लाइंस फाटक पर आयोजित हुए धरने प्रदर्शन में वक्ताओं ने एक सुर में कृषि कानूनों की खामियां गिनाई और मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। हालांकि धरने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश प्रभारी अजय माकन नहीं आए। दोनों नेताओं का धरने में नहीं आना चर्चा का विषय रहा।
मन की बात सुनने के लिए नहीं चुना पीएम
वहीं धरने को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि देश की जनता ने मोदी को मन की बात सुनने के लिए नहीं बल्कि किसान, महिलाएं और मध्यम वर्ग की बात सुनने और उनकी समस्याएं दूर करने के लिए देश का प्रधानमंत्री बनाया था। पीसीसी चीफ ने पेट्रोल डीजल की बढ़ी दरों और कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार को जमकर घेरा ।
उन्होंने कहा कि भाजपा और मोदी सरकार आंदोलनरत किसानों को नक्सली बता रही है जबकि किसान अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठा है।पीसीसी चीफ ने कहा कि कृषि कानूनों के लिए ना तो किसी किसान संगठन और ना किसी राजनीति संगठन ने कोई मांग की थी फिर भी यह कानून जल्दबाजी में लाए गए। उन्होंने कहा कि दरअसल यह कानून उन चंद उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं जो चुनाव में भाजपा को फंड मुहैया कराते हैं।
डोटासरा ने कहा कि अगर केंद्र सरकार में जरा सी भी नैतिकता बाकी है तो इन कानूनों को तुरंत वापस लेना चाहिए। किसानों को तारीख पे तारीख दी जा रही है जिससे कि उनके सब्र का बांध जवाब दे जाए और वह आंदोलन से हट जाए लेकिन न तो किसान हटेगा और ना ही कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता हटेगा। राहुल गांधी की एक आवाज पर लाखों कार्यकर्ता दिल्ली को घेर लेंगे।
पीसीसी चीफ ने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आने के पहले बड़े बड़े वादे किसानों से किए थे जिस पर किसानों ने उन्हें वोट देकर भाजपा की केंद्र में सरकार बनवाई लेकिन सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया वह जमीन अधिग्रहण कानून लेकर आए राहुल गांधी के नेतृत्व में आंदोलन हुआ और सरकार को वह कानून वापस लेना पड़ा।
भाजपा किसानों के बीच गिनाए कानून के फायदे
धरने में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने मोदी सरकार को घेरते हुए कहा की जिन कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसान कड़ाके की सर्दी में सड़क पर बैठे हैं, लेकिन मोदी सरकार और भाजपा के नेता उन्हें नक्सली और अलगाववादी बता रहे हैं जबकि किसान उग्रवादी नहीं बल्कि भगत सिंह के मानने वाले हैं। खाचरियावास ने कहा कि आंदोलन में 60 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं लेकिन सरकार हठधर्मिता अपनाए हुए हैं।भाजपा नेताओं में दम है तो वह किसानों के बीच जाकर इन कानूनों के फायदे गिनाए। उन्होंने कहा कि भाजपा आत्मनिर्भर भारत की बात करती थी लेकिन अब किसानों की रोटी छीन रही है किसान आत्महत्या कर रहे हैं भाजपा नेता देख रहे हैं।
कानून वापस नहीं लिया तो देश माफ नहीं करेगा
वही पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा कि धरने पर बैठे किसानों को अलगाववादी कहा जा रहा है उनका मजाक बनाया जा रहा है। पायलट ने कहा कि देश की मोदी सरकार ने सबसे सबसे पहले आक्रमण मध्यम वर्ग को युवा पर किया लेकिन इस बार आक्रमण किसानों पर किया है जो बर्दाश्त के लायक नहीं है। पायलट ने कहा कि अगर केंद्र सरकार जिद्द पर है तो हमें भी आंदोलन तेज करना पड़ेगा क्योंकि सरकार आती रहेंगी जाती रहेंगी लेकिन हम यह कानून वापस नहीं करा पाए तो आने वाला वक्त हमें माफ नहीं करेगा।
विपक्ष की मांग के बिना ही पारित हुए बिल
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि संसद में कांग्रेस और विपक्ष ने इन कानूनों का विरोध किया था और इनके ख़िलाफ़ में वोटिंग कराने की मांग की थी लेकिन सभापति ने हमारी मांग को अनसुना किया और आनन-फानन में बिल पारित करा दिए, जिससे साफ है कि कहीं न कहीं यह बिल केवल कॉर्पोरेट को ध्यान में रखकर बनाए गए थे। डांगी ने कहा कि मोदी सरकार को लगता है कि किसान धरने से उठ जाएंगे लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम कि किसान जब तक पीछे नहीं हटेगा जब तक कानून को वापस नहीं लिया जाएगा उन्होंने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में पुरजोर तरीके से किसानों की आवाज उठाएंगे।
धरने को कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री नमो नारायण मीणा, विधायक संयम लोढ़ा , पूर्व मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ , प्रदेश के प्रभारी तरुण कुमार और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव कुलदीप इंदौरा ने भी संबोधित किया और कानूनों की खामियां गिनाई।
उम्मीद से ज्यादा आई कार्यकर्ताओं की भीड़
वहीं धरने में प्रदेश कांग्रेस की उम्मीद से ज्यादा कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ी। कार्यकर्ताओं की भीड़ के चलते कोरोना डिस्टेंसिंग की धज्जियां भी उड़ती हुई नजर आई।
हालांकि मंच से कई बार कोरोना गाइडलाइन की पालना करने और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करने के अपील की जा रही थी लेकिन कार्यकर्ताओं की भीड़ के चलते गाइडलाइन की पालना नहीं हो पा रही थी।
राजभवन का सांस्कृतिक घेराव
दूसरी और धरना समाप्त होने के बाद प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के नेतृत्व में राजभवन का सांकेतिक घेराव किया।मंच से उतरकर जैसे ही कार्यकर्ता और नेता सिविल लाइन्स फाटक की तरफ बढ़ने लगे तो पुलिस ने बैरिकेड लगाकर नेताओं को आगे जाने से रोक दिया।
कार्यकारिणी बनने के बाद पहला प्रदर्शन
प्रदेश कांग्रेस की नवगठित क कार्यकारिणी बनने के बाद यह पहला धरना प्रदर्शन था जिसमें पदाधिकारियों ने भीड़ जुटाने में पूरी ताकत लगा दी थी। धरने में जयपुर और उसके आसपास के जिलों से भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं नेता धरने में शामिल हुए

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