अगर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी राज्यसभा चुनाव की तरह तटस्थ रह जाती है और किसी को वोट नहीं करती है तो ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार 99 के फेर में फंस जाएगी। हालांकि माकपा विधायक बलवान पूनिया ने कहा है कि वह कांग्रेस को वोट करेंगे। लेकिन अगर पार्टी व्हिप जारी कर देती है तो उन्हें उस व्हिप को मानना पड़ेगा। नहीं तो उनकी भी सदस्यता पर खतरा आ सकता है। अगर बसपा के 6 विधायक न्यायालय के निर्णय से वोटिंग से बाहर हुए तो गहलोत खेमे का बहुमत का आंकड़ा 96 रहने पर भी वोट 93 ही कर सकेंगे। ऐसे में सचिन पायलट खेमे के 19 कांग्रेस विधायक और 3 निर्दलीय विधायकों का रुख किस ओर होगा, इस पर भी सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
माकपा की स्थिति तय नहीं, गहलोत सरकार उलझी 99 के फेर में
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे में कुल विधायक का दावा – 102
कांग्रेस विधायक – 88 (बीएसपी सहित)
आरएलडी – 1
बीटीपी – 2
माकपा – 1
निर्दलीय – 10
(यहां देखा जाए तो गहलोत खेमे में विधायक भले ही 102 होने का दावा किया जाए, लेकिन वोट देने की स्थिति में फिलहाल 99 विधायक ही हैं। इनमें 1 मास्टर भंवरलाल मेघवाल बीमारी के चलते वोट देने नहीं आ सकते। दूसरे विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी हैं, जो बराबर की स्थिति पर हो वोट दे सकेंगे। तीसरे माकपा उम्मीदवार हैं, यदि पार्टी ने व्हिप जारी कर तटस्थ रखा तो वोट नहीं दे पाएंगे। इन हालात में 3 वोट कम किए जाएं तो गहलोत खेमे में 99 वोट ही रह जाते हैं)
माकपा के साथ बसपा का साथ छूटा तो 93 ही दे सकेंगे वोट
बसपा को बाहर किया तो गहलोत खेमे में कुल विधायक 96
कांग्रेस विधायक – 82
आरएलडी – 1
बीटीपी – 2
माकपा – 1
निर्दलीय – 10
(यहां देखा जाए तो बसपा के बाहर होने पर गहलोत खेमे में कुल विधायक 96 रह जाएंगे। लेकिन वोट देने की स्थिति में फिलहाल 93 विधायक ही हैं। इनमें 1 मास्टर भंवरलाल मेघवाल बीमारी के चलते वोट देने नहीं आ सकते। दूसरे विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी हैं, जो बराबर की स्थिति पर हो वोट दे सकेंगे। तीसरे माकपा उम्मीदवार हैं, यदि पार्टी ने व्हिप जारी कर तटस्थ रखा तो वोट नहीं दे पाएंगे। इन हालात में 3 वोट कम किए जाएं तो गहलोत खेमे में 93 वोट ही रह जाते हैं)
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पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे की भाजपा के साथ गणित में कुल 97 विधायक
कांग्रेस बागी – 19
निर्दलीय – 3
भाजपा – 72
आरएलपी – 3
ऐसे समझें बहुमत का गणित…
राज्य विधानसभा में 200 सदस्य हैं। ऐसे में बहुमत के लिए 101 विधायकों की जरूरत है। लेकिन मास्टर भंवरलाल मेघवाल बीमारी के चलते और बसपा विधायक हाइकोर्ट के फैसले से वोटिंग से बाहर रखे गए तो 200 में से 7 विधायक कम हो जाएंगे। ऐसे में सरकार बचाने के लिए 97 वोट की जरूरत होगी। ऐसे में गहलोत सरकार के लिए माकपा के निर्णय पर बहुत कुछ निर्भर है।