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जयपुर

राजस्थान सरकार का अजब फरमान चर्चा में, कई स्कूलों को कर डाला जिलाबदर, अब बच्चे भगवान भरोसे

स्कूलों को कई सौ किलोमीटर दूर अन्य स्कूलों में स्थानांतरित किया गया है। ऐसे में यह अजीब कदम चर्चा का विषय बना हुआ है।

जयपुरAug 17, 2017 / 03:10 pm

Nakul Devarshi

devnani
 मोहित शर्मा/ जयपुर

एक ओर सरकार संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कह रही है और दूसरी ओर जिन संस्कृत स्कूलों में विद्यार्थी कम हैं उन्हें स्थानांतरित कर रही है। ये स्थानांतरण भी ऐसा है जो कि समझ से परे है। इन स्कूलों को कई सौ किलोमीटर दूर अन्य स्कूलों में स्थानांतरित किया गया है। ऐसे में संस्कृत शिक्षा विभाग का यह अजीब कदम चर्चा का विषय बना हुआ है।
गौरतलब है कि संस्कृत शिक्षा के स्कूलों के हालात जगजाहिर हैं। कहीं स्कूलों में गुरुजी नहीं हैं तो कहीं विद्यार्थी। अब सरकार ने संस्कृत शिक्षा के 49 स्कूलों को स्थानांतरित किया है। ये वे स्कूल हैं, जिनमें नामांकन कम, शून्य या फिर 15 से कम है। इन स्कूलों को अनार्थिक घोषित कर दिया गया है। अनार्थिक राजकीय प्राथमिक संस्कृत विद्यालयों को प्रस्तावित स्थानों पर स्थानांतरित करने की स्वीकृति हाल ही संस्कृत शिक्षा निदेशक, विमल कुमार जैन ने जारी की है।
बदल दिए जिले
संस्कृत शिक्षा के अनार्थिक घोषित किए गए कई स्कूलों को तो दूसरे जिलों में स्थानांतरित किया गया है। जयपुर जिले के राजकीय प्राथमिक संस्कृत विद्यालय लालचंदपुरा करधनी क्षेत्र को मोरला तहसील मालपुरा टोंक में स्थानांतरित किया है। झुंझुनूं जिले के राजकीय प्राथमिक संस्कृत विद्यालय किडवाना पंचायत समिति सूरजगढ़ को गायत्री नगर बी महारानी फार्म दुर्गापुरा, जयपुर में स्थानांतरित किया है। इसी तरह बाड़मेर जिले के राजकीय प्राथमिक संस्कृत विद्यालय, सोबदार की बस्ती भिंडे का पार को कादेड़ा चाकसू जयपुर में स्थानांतरित किया है।
एक ओर भर्ती, दूसरी ओर ये हाल
सूत्रों के अनुसार सरकार एक ओर तो संस्कृत शिक्षा में भर्ती करने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर स्कूलों में नामांकन कम बताकर स्कूलों को स्थानांतरित किया गया है। उनका कहना है कि सरकार को इन स्कूलों के स्थानांतरित करने के बजाय इनमें नामांकन बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए थे।
कहां जाएंगे बच्चे
इन स्कूलों में से कई स्कूल तो ऐसे हैं, जिनमें 15 से कम बच्चे भी अध्ययनरत हैं। अब ये बच्चे आखिर पढऩे कहां जाएंगे, इसको लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं। वहीं इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का अन्यत्र समायोजन किया जाना है। निदेशक की ओर से जारी आदेशों में यह स्पष्ट नहीं है कि इन शिक्षकों को आखिर समायोजित कहां करना है। इन्हें जिले से बाहर भेजना है या फिर संस्कृत शिक्षा के कार्यालय में।
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