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जयपुर

कोरोनिल दवा के ट्रायल के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने निम्स को भेजा नोटिस

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने राज्य और केंद्र सरकार को सूचित किए बिना कोरोनिल दवा के ट्रायल के मामले में निम्स को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

जयपुरJun 25, 2020 / 04:13 pm

Santosh Trivedi

raghu sharma

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जयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने राज्य और केंद्र सरकार को सूचित किए बिना कोरोनिल दवा के ट्रायल के मामले में निम्स को नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि किसी ने भी इस दवा की अनुमति के लिए आवेदन नहीं किया और राज्य सरकार से इसके लिए कोई अनुमति नहीं ली गई । दूसरी ओर निम्स के अधिकारियों ने दावा किया है कि उनके पास दवा के ट्रायल के लिए सभी आवश्यक अनुमतियां थीं।

योगगुरु बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद ने कोरोना संक्रमितों के शत प्रतिशत उपचार का दावा करते हुए पहली आयुर्वेदिक दवा ‘कोरोनिल’ मंगलवार को लांच की थी। कोरोनिल को बनाने के लिए पतंजलि शोध संस्थान तथा राजस्थान में जयपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ने मिलकर शोध किया। इसके तुरंत बाद आयुष मंत्रालय ने पंतजलि आयुर्वेद की लांच की गई दवा ‘कोरोनिल’ के प्रचार पर तात्कालिक रोक लगा दी थी।

बिना आयुष मंत्रालय की अनुमति के दावा स्वीकार नहीं-
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा आयुष मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा है कि भारत सरकार ने ड्रग्स एण्ड कोस्मेटिक एक्ट 1940 एवं 1945 के तहत 21 अप्रेल 2020 को जारी गजट नोटिफिकेशन के अनुसार केंद्रीय आयुष मंत्रालय की स्वीकृति के बिना कोविड-19 महामारी की दवा के रूप में किसी भी आयुर्वेदिक औषधी का विक्रय नहीं किया जा सकता। डॉ. शर्मा ने बताया कि प्रदेश में कोविड-19 के उपचार में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, केन्द्रीय आयुष मंत्रालय एवं आईसीएमआर की गाइडलाइंस की अनुपालना सुनिश्चित की जा रही है।

उन्होंने बाबा रामदेव की ओर से कोरोना-19 के उपचार की दवा के दावे के संबंध स्पष्ट किया कि आयुर्वेदिक औषधियां इम्युनिटी बूस्टर के रूप में उपयोगी हो सकती है, लेकिन दवा के रूप में यह दावा बिना आयुष मंत्रालय की अनुमति के स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि 21 अप्रेल, 2020 को जारी गजट नोटिफिकेशन के अनुसार कोविड-19 के संदर्भ में किसी भी संगठन को अनुसंधान करते समय साइन्टिफिक एडवाइजरी बॉडीज एवं इस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी से अनुमोदित होना चाहिए। क्लिनिकल ट्रायल परियोजना सीटीआरआई की ओर से पंजीकृत होने के साथ ही उनका सैंपल साइज भी पर्याप्त हो, क्लिनिकल ट्रायल आयुष अथवा आईसीएमआर के दिशा निर्देशों के अनुसार हो तथा बायो मेडिकल एवं हैल्थ रिसर्च के नियमों की अनुपालना के साथ हो।

गुमराह करने वाले के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी-
आईसीएमआर की ओर से प्रकाशित नेशनल एथिकल गाइडलाइंस के अनुसार मानव भागीदारी हो तथा इसमें पंजीकृत आयुष चिकित्सकों की सहभागिता के साथ ही अन्य सभी दिशा निर्देशों की पालना किया जाना आवश्यक है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रदेश में इन दिशा-निर्देशों की अनुपालना के बिना किसी औषधि को कोविड-19 की औषधि के बारे में प्रचारित एवं बेचान करने वाले के विरुद्ध नियमानुसर कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार के अनुमति के बिना ह्युमन ट्रायल भी नहीं किया जा सकता। बिना अनुमति के क्लिनिकल ट्रायल करके आम जन को गुमराह करने वाले के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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