इनसे जताई नाराजगी
सूत्रों के मुताबिक सबसे ज्यादा नाराजगी पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री और राज्य के संगठन प्रभारी वी. सतीश, प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना पर दिखाई। उन्होंने कहा बताया कि ऐसी व्यवस्थाएं रहेंगी तो कैसे काम चलेगा? संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर से भी शाह बहुत नाराज हुए।
जयपुर में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के दौरान तो अमित शाह ने तब खासी नाराजगी जताई थी, जब वह विस्तारकों की बैठक ले रहे थे। नाराज इसलिए हुए कि विस्तारकों को जो काम देना चाहिए था, वह दिया ही नहीं गया। वह विस्तारकों की बैठक बीच में ही छोड़कर चले गए थे।
अव्यवस्थाएं देखने के बाद शाह ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य ओमप्रकाश माथुर को सभी कार्यक्रमों में साथ रहने को कहा है। यही वजह है कि शाह जब भी राजस्थान आ रहे हैं, माथुर उनके साथ रहते हैं। शाह और माथुर दोनों अब दिल्ली से साथ ही आते हैं।
शाह 11 सितम्बर को जयपुर आए तब स्वागत जिस गर्मजोशी से होना चाहिए था, प्रदेश के नेता वैसा नहीं कर पाए। स्वागत में राजस्थानी परम्परा नहीं दिखी। बिड़ला सभागार में हुए कार्यक्रमों में भी संगठन के नेता पहली और सरकार के मंत्री दूसरी पंक्ति में दिखाई दिए। इस पर शाह ने कहा कि मंत्री चुनाव लड़ेंगे या संगठन के नेता?
जोधपुर में 16 सितम्बर को युवा सम्मेलन में आए तब भी शाह अव्यवस्थाएं देखकर खासे नाराज हुए। कार्यक्रम में अपेक्षित भीड़ नहीं जुटी, 4-5 हजार कुर्सियां खाली पड़ी थीं। इस पर शाह ने गुजरात से आए एक युवा विधायक को जमकर लताड़ा और कहा कि जितनी भीड़ आई उतनी ही कुर्सियां लगाई जानी चाहिए थीं।
भाजपा ने यहां किसान सम्मेलन रखा था। इसकी जिम्मेदारी सांसद सीआर चौधरी को दी गई थी। सम्मेलन में दावे की तुलना में 20 प्रतिशत किसान भी नहीं जुटे। शाह ने इस पर नाराजगी दिखाई तो नेता एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने लगे। सूत्रों की मानें तो सांसद-विधायकों में सम्मेलन को लेकर विवाद के कारण भीड़ कम जुटी।