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जयपुर

संविधान लागू होने तक राजस्थान में चुनते थे प्रधानमंत्री, फिर बना मुख्यमंत्री पदनाम

सत्ता को लेकर संघर्ष नया नहीं है, यह राजस्थान निर्माण के साथ प्रथम विधानसभा चुनाव से पहले ही शुरू हो गया था।

जयपुरSep 08, 2018 / 07:46 am

Santosh Trivedi

Rajasthan CM
जयपुर। सत्ता को लेकर संघर्ष नया नहीं है, यह राजस्थान निर्माण के साथ प्रथम विधानसभा चुनाव से पहले ही शुरू हो गया था। राजस्थान प्रदेश का एकीकरण 30 मार्च 1949 को हो गया था जबकि संविधान लागू होने के बाद मार्च 1952 में विधानसभा अस्तित्व में आई।
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वर्ष 1949 से 1952 के लिए प्रदेश कांग्रेस का अंतरिम शासन रहा, जिसे भारत सरकार का तत्कालीन रियासती मंत्रालय दिशा-निर्देश देता था। इसके अध्यक्ष तत्कालीन उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल थे।
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हीरालाल शास्त्री की अगुवाई में गठित हुई प्रथम सरकार
राजस्थान की प्रथम सरकार हीरालाल शास्त्री की अगुवाई में गठित हुई। उनका पदनाम 30 मार्च 1949 से संविधान लागू होने (24 जनवरी 1950) तक प्रधानमंत्री रहा। इसके बाद उनका पदनाम मुख्यमंत्री हो गया।
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राजस्थान निर्माण के साथ प्रदेश में सत्ता को लेकर मतभेद उभरने लगे। एक गुट तत्कालीन मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोकुल भाई का, तो दूसरा जयनारायण व्यास और माणिक्यलाल वर्मा का बन गया।
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5 जनवरी 1951 को हीरालाल शास्त्री को इस्तीफा देना पड़ा
दोनों गुट एक दूसरे के प्रबल विरोधी होने के कारण सरकार को लेकर खींचतान चलती रही। यहां तक कि प्रदेश कांग्रेस ने शास्त्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया और 5 जनवरी 1951 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
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ऐसे में आइसीएस अधिकारी सीएस वैंकटेश्वर को मुख्यमंत्री बनाया गया और उनकी अगुवाई में सरकार ने 26 अप्रेल 1951 तक काम किया। इसके बाद जयनारायण व्यास को मुख्यमंत्री बनाया गया। उनका कार्यकाल पहले विधानसभा चुनाव होने यानी 3 मार्च 1952 तक रहा।
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