प्रदेश में अलवर समेत अन्य जगह मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुई और उनमें कुछ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। देश में बढ़ती घटनाओं के चलते सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्यों को रोक के लिए मॉब लिंचिंग को विशेष अपराध मान कानून बनाने के लिए कहा था। विधेयक में मॉब लिंचिंग में पीडि़त की मृत्यु होने पर ऐसा करने वाले और इनमें सहयोग करने वाले लोगों को आजीवन करावास व पांच लाख के अर्थदंड की सजा मिल सकती है।
इसे गैर जमानती अपराध बनाया गया है। जबकि गंभीर घायल होने पर 10 साल तक की कैद और 50 हजार से 3 लाख तक का जुर्माना होगा। पीडि़त को घायल करने वालों को सात साल तक की सजा, एक लाख रुपए तक का जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। ऐसे मामलों की जांच इंस्पेक्टर स्तर या उससे उपर का पुलिस अफसर ही करेगा। लिंचिंग के दोषियों की गिरफ्तारी से बचाने या अन्य सहायता करने पर भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान किया है।
मॉब लिंचिंग के मामलों में गवाहों को धमकाने वालों को 5 साल तक जेल और एक लाख तक के जुर्माने का प्रावधान किया है। घटना के वीडियो, फोटो किसी भी रूप से प्रकाशित प्रसारित करने पर भी एक से तीन साल की सजा और 50 हजार का जुर्माने का प्रावधान किया है। वहीं गवाहों को दो से ज्यादा तारीखों पर अदालत जाने की बाध्यता से छूट मिलेगी। गवाहों की पहचान गुप्त रखाी जाएगी। पीडि़त व्यक्ति का विस्थापन होने पर सरकार उसका पुनर्वास करेगी। 50 से ज्यादा व्यक्तियों के विस्थापित होने पर राहत शिविर लगाने का प्रावधान भी होगा।
ये किए प्रावधान
लिंचिंग रोकने के लिए राज्य समन्वयक आईजी रैंक का अफसर होगा।
हर जिले में भी बनेंगे जिला समन्वयक।
जिला मजिस्ट्रेट लिंचिंग की आशंका पर किसी आयोजन को रोक सकेंगे।
50 से ज्यादा व्यक्तियों के विस्थापित होने पर राहत शिविर।
ऑनर किलिंग पर मृत्युदंड
प्रदेश में अंतर जातीय, अंतर सामुदायिक, अंतर धार्मिक विवाहों को रोकने के नाम पर बढ़ रही हिंसा को रोकने के लिए सरकार ने मंगलवार को राजस्थान सम्मान और परंपरा के नाम पर वैवाहिक संबंधों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का प्रतिषेध विधेयक 2019 को विधानसभा में रखा। इस विधेयक के पारित होने पर प्रदेश में ऐसी घटनाओं में किसी की मृत्यु होने पर आरोपियों को मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान रखा गया है।