तीन शहरों में नगर निकाय चुनावों में टिकट वितरण को लेकर विधायक और संगठन के लोग आमने-सामने हो गए थे। लेकिन तवज्जो विधायकों को ही दी गई। विधायकों ने चहेतों को टिकट बांटे। यही स्थिति पंचायत राज के चुनावों में रही। टिकट वितरण में पूरी तरह विधायकों की चली। संगठन ने क्षेत्र के नेताओं की सहमति से टिकट देने का ऐलान किया लेकिन आखिर विधायकों की ही चली। उन्होंने परिवार के लोगों को भी उतार दिया। इससे नाराज हुए संगठन के क्षेत्रीय नेताओं ने चुनाव से दूरी बनाए रखी।
सूत्रों की मानें तो सीएम विधायकों को नाराज नहीं करना चाहते। ऐसे में तबादलों की बात हो या अन्य किसी काम की, फोकस विधायकों पर ही है। पदाधिकारियों तक की पीड़ा है कि उनसे भी विधायक की डिजायर मांगी जाती है।