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जयपुर

जब पत्रिका ने कहा था ‘आइए, बचाएं जीवन’, अभियान को मिला था ‘लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स अवॉर्ड’

-जब पत्रिका ने कहा था ‘आइए, बचाएं जीवन’-पत्रिका की जागरुकता के बाद सड़क हादसों में आई थी कमी-वर्ष 2016 में चलाया था सड़क सुरक्षा अभियान-लाखों लोगों को पत्रिका ने दिलाई थी शपथ-अभियान को मिला था ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉड्र्स अवॉर्ड’-अभियान के बाद तीन साल तक हादसों में आई कमी-प्रतिवर्ष इसी तरह के अभियान चलाने की जरूरत

जयपुरAug 09, 2020 / 05:45 pm

Kamlesh Sharma

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शैलेन्द्र शर्मा/ जयपुर। भारत में हर माह सड़क हादसों जितनी मौत हो जाती है, उतनी तो कोरोना वैश्विक महामारी के दौर में भी नहीं हुई है। देश में करीब हर साल डेढ़ लाख लोगों की मौत सड़क हादसों में हो जाती हैं। इसके लिए वाहनों की हर वर्ष लाखों में बढ़ती संख्या, बदहाल सड़कें, यातायात पुलिस की कमी और त्वरित चिकित्सा नहीं मिलने के कारण गिनाए जाते रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण है आमजन में सड़क सुरक्षा को लेकर जागरुकता की कमी।
राजस्थान पत्रिका ने इसे समझा और वर्ष २०16 में राजस्थान में इस पर बड़े स्तर पर कार्य किया। पत्रिका ने परिवहन विभाग, स्थानीय निकायों एवं स्वयं सेवी संगठनों को इस अभियान से जोड़ा। अगले चरण में छात्र-छात्राओं और युवाओं को जोड़कर शहरों और कस्बों में ‘आइए, बचाएं जीवन’ का आह्वान करते हुए विशाल यातायात जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये। हर कार्यक्रम में मौजूद हजारों लोगों को सड़क सुरक्षा को लेकर शपथ दिलाई गई। इसके नतीजे चौकाने वाले रहे।
कई सालों बाद पहली बार वर्ष 2016 में पहली बार सड़क दुर्घटनाओं, घायलों एवं मृतकों की सख्या में कमी आई और यह आकंड़ा लगातार 2018 तक कम होता रहा। आमजन में यातायात नियमों की पालन से लेकर सड़क सुरक्षा को लेकर भी काफी जागरुकता देखी गई। पत्रिका के इस अभियान को लिम्का बुक ऑफ रिकॉड्र्स एवं इण्डिया बुक ऑफ रिकॉर्डर्स अवार्ड में भी स्थान मिला।
पत्रिका के महाअभियान के बाद राज्य में बड़े जागरूकता कार्यक्रम नहीं हुए। हर साल होने वाला सड़क सुरक्षा सप्ताह भी रस्म अदायगी ही रहा। इस कारण वर्ष 2019 में सड़क दुर्घटनाओं और मृतकों की संख्या में फिर से बढ़ोत्तरी हो गई। अगर सरकारें चाहे तो जागरुकता और सड़क निर्माण से लेकर यातायात नियमों के पालन के मामले में गंभीरता से कार्य करें तो सड़क हादसों और उनसे होने वाली मानव क्षति को रोका जा सकता हैं। राजस्थान पत्रिका का ‘आइए, बचाएं जीवन’ अभियान इसी का उदाहरण है।
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पहले थमा, फिर बढ़ा मौत का आंकड़ा
वर्ष ——–हादसे——– घायल——– मौत
2015—- 24072—- 26153—- 10510
2016—- 23066—- 24104—- 10465
2017—- 22122—- 22071—- 10444
2018—- 21741—- 21545—- 10320
201—-9 23468 —-22964—- 10561

भारत सरकार ने भी माना अभियान
‘आइए, बचाएं जीवन’ अभियान की गूंज दिल्ली तक पहुंची थी। नई दिल्ली में केन्द्रीय परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी की अध्यक्षता में वर्ष 2016 में आयोजित राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद् और परिवहन विकास परिषद् बैठक में राजस्थान पत्रिका के इस अभियान को खूब सराहा गया था।
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राज्य में सात स्थानों पर हुए थे कार्यक्रम
राजस्थान पत्रिका के यातायात जागरूकता अभियान ‘आइए, बचाएं जीवन’ को 13 जनवरी से 25 फरवरी 2016 के बीच राज्य में सात स्थानों पर आयोजित किया था। चौमूं, बांदीकुई, टोंक, सवाईमाधोपुर, झुंझूनूं, हिण्डौन सिटी और धौलपुर में लगातार कार्यक्रम आयोजित किए गए थे, जिनमें करीब 2 लाख 33 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था।

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