वहीं दूसरी ओर विभाग के इंजीनियर पानी में टीडीएस की मात्रा कम होेने पर भी प्रदेश के मुख्य सचिव को पानी पीने योग्य होने की बात कह कर अपनी गर्दन बचाने में जुटे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के मुख्य सचिव अशोक जैन ने बीते दिनों जलदाय इंजीनियरों को उनके सरकारी आवास में सप्लाई हो रही सरकारी जलापूर्ति की गुणवत्ता जांच करने के लिए कहा था। बीते सोमवार को विभाग की वाटर टेस्टिंग लेब केमिस्ट और अधिशाषी अभियंता नगरवृत्त दक्षिण प्रथम केशव श्रीवास्तव मौके पर पहुंचे और सरकारी जलापूर्ति समेत आवास के आरओ प्लांट के पानी सैंपल लिए।
पानी सैंपल में आरओ से फिल्टर पानी में केमिकल जांच में टीडीएस की मात्रा 24 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई। भारतीय मानक ब्यूरो की गाइड लाइन के अनुसार पानी में टीडीएस- टोटल डिजॉल्व सालिड 150 से 2000 मिलीग्राम प्रतिलीटर तक होने पर पानी पीने योग्य माना जाता है।
वहीं दूसरी ओर टीडीएस 150 से कम होने पर दीर्घकालीक उपयोग करने पर व्यक्ति को विटामिन बी, बी-12 समेत अन्य शारीरिक विकारों का सामना करना पड़ सकता है। 150 टीडीएस से कम पानी पीने लायक तो होता है लेकिन पानी में शरीर को मिलने वाले जरूरी मिनरल्स नहीं होने से सेहत पर दुष्प्रभाव पड़ने लगता है।
तय मानक से कम टीडीएस पानी उपयोग लेने पर नवजात शिशु से 11 वर्ष तक के बच्चों में मानसिक विकास भी प्रभावित होता है। जलदाय अभियंता मुख्य सचिव आवास से लिए गए पानी सैंपल की जीवाणु जांच रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहे हैं वहीं इसके बाद ही आरओ के अलावा सरकारी जलापूर्ति वाले पानी की गुणवत्ता को लेकर तस्वीर भी साफ हो पाएगी।
मुख्य सचिव अशोक जैन के सरकारी आवास में सप्लाई हो रहे पानी में नाइट्रेट 400 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया जिसके बाद इंजीनियरों ने उन्हे आरओ लगाने का सुझाव दिया। बीते सप्ताह आरओ के पानी का सैंपल की जांच लेबोरेट्री में हुई तो जांच में टीडीएस 24 पाया गया वहीं नाइट्रेट महज चार मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई।
जांच रिपोर्ट के बाद मामला मुख्य सचिव से जुड़ा होने के चलते अब विभाग के इंजीनियर मामले में लीपापोती करने में जुटे हुए हैं। जलदाय विभाग के एक्सईएन साउथ प्रथम केशव श्रीवास्तव विभाग के वरिष्ठ रसानज्ञ एचएस देवंदा के साथ सोमवार को मुख्य सचिव अशोक जैन के सरकारी आवास पर पानी सैंपल लेने गए लेकिन जब उनसे सरकारी बंगले के पानी की गुणवत्ता और जांच को लेकर सवाल पूछा तो उन्होने ऐसी कोई कार्रवाई होने से ही अनभिज्ञता जाहिर कर आरओ प्लांट के उपयोग पर ही सवाल खड़े कर दिए।
इनका कहना है—
मुख्य सचिव के सरकारी आवास से पानी सैंपल जांच के लिए मंगवाए गए थे। रिपोर्ट क्या रही मुझे जानकारी नहीं है। रिपोर्ट देखकर ही कुछ बता सकता हुं। – राकेश माथुर, चीफ केमिस्टद, स्टेट रेफरल सेंटर लेबारेट्री,पीएचईडी
मुझे पता नहीं मुख्य सचिव के बंगले के पानी सैंपल कब लिए और उसकी जांच रिपोर्ट क्या रही। एसआरसी लैब स्टाफ रूटीन पानी सैंपल लेकर जांच करता है। ज्यादा कुछ तो लैब अधिकारी ही इस बारे में बता सकते हैं। – केशव श्रीवास्तव, अधिशाषी अभियंता, नगरवृत्त दक्षिण प्रथम, जलदाय विभाग