मृतका के बेटे अमित ने बताया कि शुक्रवार को मां बीमार हुई थी। सरकारी अस्पतालों में हालात खराब थे इस कारण #private-Hospital निजी अस्पताल लाए। अस्पताल में लाते ही हजारों रुपए पहले ही जमा करा दिए गए अस्पताल प्रबंधन के कहे अनुसार। तीन दिनों तक मां का अस्पताल में इलाज चला और उनकी लगभग हर रिपोर्ट नाॅर्मल ही आई। सोमवार को सवेरे छुट्टी तक देने की बाते होने लगी। इस बीच दोपहर में करीब एक बजे #Mother मां की ब्लड रिपोर्ट आई जो भी नाॅर्मल थी। हम खुश थे कि मां जल्द ही घर आ जाएगी लेकिन अचानक एक बजकर पंद्रह मिनट पर ही स्पताल में भाग दौड़ शुरु हो गई। हमें बताया गया कि इमरजेंसी हो गई है और मां को निमोनिया हो गया है। शाम तक यह सब चलता रहा। शाम को हमे घर भेज दिया गया और कुछ सामान लाने को कहा। रात को लौटे तो बताया कि मां की मौत हो गई। बेटे ने आरोप लगाया कि अस्पताल स्टाफ और चिकित्सकों ने जबरन इलाज करने की कोशिश की जबकि अधिकतर रिपोर्ट्स नाॅर्मल रहीं। परिजनों को चिट किया। इस पूरे घटनाक्रम के बाद शास्त्री नगर, भट्टा बस्ती और बनीपार्क पुलिस मौके पर पहुंची और मामला शांत कराया। शास्त्री नगर पुलिस मामले की जांच कर रही है।
इन्ही सात दिनों के दौरान राजधानी के एक और निजी अस्पताल में एक साथ चार मौतों पर हंगामा हो चुका। कालवाड़ थाना इलाके में स्थित अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगा कि उन्होनें तय सीमा से ज्यादा कोविड मरीज भर्ती किए और बाद में अचानक आॅक्सीजन की कमी हो गई। इस कारण चार मरीजों की मौत हो गई। इस घटना के बाद तीन थानों की पुलिस मौके पर पहुंची और उसके बाद मामले को जैसे तैसे शांत कराया। कालवाड़ पुलिस मामले की जांच कर रही है। मरीजों की मौत के बाद कई परिजन अपने मरीजों को अस्पताल से अन्य अस्पताल में शिफ्ट भी करा ले गए थे।