police criminalपहले मामले में कानोता थाना पुलिस ने खुद ही बाइक गायब करवा दी। जो कुछ दिनों बाद थाने की पार्किंग में भी पहुंच गई, लेकिन अब बाइक मालिक को टरकाते हुए अपने मुताबिक शिकायत दर्ज कराने को कहा जा रहा है वर्ना बाइक को लौटाने में आनाकानी की जा रही है।
दूसरी तरफ, मानसरोवर थाना पुलिस 10 साल की बच्ची का अपहरण करते हुए पकड़े गए युवक के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उसे बचाती नजर आ रही है। यही वजह है कि आरोपी के खिलाफ पुलिस ने पॉक्सो भी नहीं लगाया।
पुलिस निकालती दिखी रंजिश कानोता थाना पुलिस से जुड़ा यह मामला छह सितंबर को आगरा रोड पर सवर्ण समाज की रैली के दौरान पेश आया था। रैली में पुलिस कार्रवाई का वीडियो बनाते समय पुलिस ने पत्रकार गोपाल व्यास का न सिर्फ कैमरा, एसडी कार्ड और मोबाइल छीना, बल्कि उसकी बाइक भी गायब करवा कर इलाके की एक दुकान में रखवा दी। जब अखबारों में बाइक चोरी की खबर छपी तो जिस दुकान में पुलिस बाइक रखकर गई थी, उन्होंने बाइक कानोता थाने पहुंचा दी। 24 सितंबर को थाने की पार्किंग में खड़ी बाइक का फोटो और वीडियो बनाकर वायरल कर दिया गया। जब पीडि़त थाने पर अपनी बाइक लेने पहुंचा तो उससे कहा गया कि थाने पर कोई बाइक नहीं है। इस बर्ताव की शिकायत पीडि़त ने 27 सितंबर को कमिश्नर को की। इस पर पुलिस ने बाइक को 52 फुट हनुमान मंदिर के पास लावारिस मिलना बताकर 28 सितंबर को जब्ती दिखा दी।
मर्जी की एफआईआर नहीं तो बाइक भी नहीं पीडि़त बाइक लेने पहुंचा तो पुलिसकर्मी कहे अनुसार शिकायत देने का दबाव बनाने लगे। पीडि़त ने इनकार कर दिया तो पुलिस थाने में खड़ी बाइक को लौटाने में आनाकानी करने लगी। बच्ची को उठाते पकड़ा पर पुलिस मेहरबान मानसरोवर थाना इलाके में बुधवार को एक दस साल की बच्ची का स्कूल जाते समय अपहरण करने का प्रयास करते पकड़े गए आरोपी पर कार्रवाई की बजाय पुलिस उसे बचाती नजर आई। यहां तक कि आरोपी पर पॉक्सो के तहत मामला तक दर्ज नहीं किया गया। शिकायत सरकारी वकील रिशाला शर्मा ने की है। उनका कहना है कि आरोपी 15 दिनों से बच्ची की रैकी कर रहा था। स्कूल जाने के लिए बच्ची जहां स्कूली बस में बैठती थी, वहां से इसने उसे जबरन अपनी बाइक पर बिठाया और ले जाने की कोशिश की। आशंका के चलते पहले से ही पीछा कर रही रिशाला ने शोर मचाया तो आसपास के लोगों की मदद से शिवदासपुरा निवासी राकेश उर्फ सोनू को पकड़ लिया गया।
रिमांड तक नहीं मांगा पुलिस को मौके पर बुलाकर आरोपी को उसके हवाले भी किया गया, लेकिन पुलिस उससे अपहरण के संबंध में पूछताछ करने की बजाय टालमटोल करती दिखी। यहां तक कि पूछताछ के लिए रिमांड तक की मांग नहीं की। रिशाला के विरोध करने पर उसे तीन दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है। पीडि़ता का कहना है कि बच्ची पर बुरी नीयत रखने वाले पर ही पॉक्सो लगाते हैं, यहां तो अगवा करने का प्रयास था, फिर भी पुलिस ने शिकायत में इसे नहीं लगाया।