इस दौरान लगाए गए संसाधनों के बारे में पूछने पर ये सिर्फ इतना ही कहते हैं कि जो सलाह आदि दी गई थी, वह सिर्फ सहानुभूति के तौर पर थी। उसकी गिनती नहीं की जाती।
इससे पहले मार्च में जहां मध्य प्रदेश में भाजपा को बड़ी कामयाबी हासिल हुई थी और वे वहां कमलनाथ को बेदखल कर शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनाने में कामयाब हो गए थे, पिछले साल महाराष्ट्र में ऑपरेशन कमल कामयाब नहीं हो पाया था।
छह महीने से भाजपा शीर्ष नेतृत्व की सहमति और तीन केंद्रीय मंत्रियों के सीधे संचालन में विधानसभा में बहुमत हासिल करने का अभियान चलाया जा रहा था। हालांकि मध्यस्थ का काम करने वालों को फिलहाल चुप्पी रखने को कहा गया है।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि सदन में विश्वास मत में गहलोत सरकार निश्चित ही परास्त होती, मगर ‘कुछ लोगों’ ने बीच में हार मान ली। ये मानते हैं कि अभी किसी तरह की पहल नहीं की जा रही। लेकिन साथ ही कहते हैं कि खेल अभी खत्म नहीं हुआ है। ये कहते हैं कि कांग्रेस की आंतरिक स्थिति इतनी खराब है कि परेशान विधायक खुद ही सरकार गिराएंगे।