राजस्थान विधानसभा के 2008 के चुनाव में भी बसपा के छह प्रत्याशी विधायक बने थे और इस बार 2019 के विधानसभा चुनाव में भी विधानसभा में बसपा का इतना ही संख्या बल है। इस बार बसपा के टिकट पर उदयपुरवाटी से राजेंद्र सिंह गुढ़ा, नदबई से जोगिंदर सिंह अवाना, किशनगढ़बास से दीपचंद, करोली से लाखन सिंह, नगर से वाजिब अली तथा तिजारा से संदीप कुमार विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे।
बसपा विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा बसपा से ही 2008 के चुनाव में विधानसभा पहुंचे थे। वे बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे और गहलोत सरकार में राज्यमंत्री रहे। अब वे फिर उसी राह पर चलते दिखलाई पड़ रहे हैं। विधानसभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफ और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की आलोचना के राजनीतिक गलियारे में निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। बसपा में भी राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने विद्रोही तेवर अपना रखे हैं।
राजस्थान विधानसभा के 2008 के चुनाव में बसपा से छह विधायक बने थे। नवलगढ़ से डॉ. राजकुमार शर्मा, उदयपुरवाटी से राजेंद्र सिंह गुढ़ा, गंगापुर से रामकेश, सपोटरा से रमेश मीणा, दौसा से मुरारीलाल मीणा तथा बाड़ी से गिर्राज सिंह मलिंगा बसपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। कांग्रेस का संख्याबल 96 पर ही अटक गया था। बसपा और गोलमादेवी के सहयोग से सरकार बनी और चली, लेकिन सभी बसपा विधायक बसपा छोड़कर कांग्रेस में आए गए। अब फिर बसपा विधायकों को लालबत्ती का लालच दिखाया जाने लगा है।
पूर्व विधायक जसवंत सिंह यादव ने बसपा के कांग्रेस में विलय को लेकर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दल-बदल का आरोप लगाया गया था, लेकिन कोर्ट ने इस मामले को दल-बदल कानून का उल्लंघन नहीं माना।