नामांकन का आखिरी दिन बीत जाने के बाद साफ़ हुई तस्वीर के अनुसार अब राज्य सभा के लिए राजस्थान की तीन सीटों पर कुल चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस से वेणुगोपाल और नीरज डांगी प्रत्याशी हैं जबकि भाजपा की ओर से राजेंद्र गहलोत और ओंकार सिंह लखावत प्रत्याशी हैं।
दरअसल, प्रदेश की सियासी गणित के तहत कांग्रेस के दो और भाजपा का एक प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा जाना तय था। ऐसे में चुनाव करने की नौबत नहीं लग रही थी। सभी तीन प्रत्याशियों के निर्विरोध जीत होना संभावित माना जा रहा था। लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेता ओंकार सिंह लखावत ने पार्टी की तय रणनीति और निर्देश पर नामांकन भरकर सभी को हैरत में डाल दिया था।
इधर, लखावत के राज्य सभा के लिए नामांकन दाखिल करने से कांग्रेस खेमे में खलबली मच गई। कांग्रेस उम्मीद कर रही थी कि बुधवार को नामांकन की आखिरी तारिख तक लखावत अपना नामांकन वापस ले लेंगे। लेकिन भाजपा और लखावत में चुनाव मैदान में डटे रहने का फैसला किया। ऐसे में अब तीन सीटों के लिए चार प्रत्याशियों के बीच 26 मार्च को चुनाव होगा और मतदान से ही ये तय होगा कि इनमें से कौन तीन राज्य सभा में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करेंगे।
कटारिया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में असंतोष का माहौल है, जिससे बीजेपी को उम्मीद है कि देश में को सीएए को लेकर कांग्रेस और अन्य निर्दलीय विधायकों में भी कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से नाराजगी है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश और गुजरात के विधायकों को राजस्थान में कांग्रेस पार्टी लाकर बाड़ेबंदी कर रही है, उसका भी परिणाम भुगतने को उसे तैयार रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के कामकाज से कई विधायक असंतुष्ट हैं। विधायक सरकार के कामकाज से कितना संतुष्ट हैं ये चुनाव उसकी परख भी हैं। उन्होंने कहा मध्यप्रदेश में जिस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के ही विरोध में उतर आए उसी तरह के हालात राज्य में भी है ।लेकिन जब मीडिया ने उनसे पूछा क्या राजस्थान में भी उन्हें किसी कांग्रेसी नेता के सिंधिया बनने की उम्मीद है तो कटारिया ने इससे इनकार किया।