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फिल्म पद्मावत विरोध को लेकर अब इस ‘मूड‘ में करणी सेना, ताज़ा बयान में बोले कालवी- …

कालवी ने कहा दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि करणी सेना दक्षिण भारत के लोगों को अपनी बात समझाने में सफल नहीं हो पाई

जयपुरJan 28, 2018 / 08:47 am

Nakul Devarshi

जयपुर/ नई दिल्ली।
संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत के खिलाफ आंदोलन कर रही श्री राजपूत करणी सेना ने हाल में हुई हिंसा की घटनाओं में उसका हाथ होने से इन्कार किया है, लेकिन कहा है कि वह फिल्म का विरोध जारी रखेगी।
 

संगठन के संरक्षक लोकेन्द्र सिंह कालवी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह फिल्म एक ‘साम्प्रदायिक गुंडागर्दी’ है जिसका आखिरी दम तक विरोध किया जाएगा। गणतंत्र दिवस के सम्मान में विरोध प्रदर्शन स्थगित रखे गए थे लेकिन अब फिर से विरोध शुुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शनों के नाम पर आगजनी और तोडफ़ोड़ तथा विशेष रूप से गुडग़ांव में एक स्कूल बस पर पथराव की जो घटना हुई है उसके पीछे करणी सेना का कोई हाथ नहीं है।
 

कालवी ने दावा किया कि स्कूल बस के ड्राइवर ने खुद कहा है कि करणी सेना के कार्यकर्ताओं को जब यह पता चला की बस में स्कूली बच्चे हैं तो उन्होंने बस को सुरक्षित आगे जाने में मदद की लेकिन इसी दौरान पीछे से मोटरसाइकिल पर सवार कुछ लोग आए और बस पर पत्थर फेंक कर भाग गए।
 

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उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि इस घटना की जांच देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी करे ताकि सच सबके सामने आए। अहमदाबाद में एक सिनेमाहाल में आगजनी और तीस चालीस मोटरसाइकिलों को आग के हवाले करने की वारदात पर भी उन्होंने कहा कि ऐसा करणी सेना के लोग नहीं बल्कि असमाजिक तत्व थे क्योंकि जब वह खुद घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां उपद्रव कर रहे युवक न तो उन्हें पहचान पाये और न ही वह उन लोगों को पहचानते थे।
 

कालवी ने गुडग़ांव की घटना को लेकर करणी सेना के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की टिप्पणी को अवांछित बताते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के किसान आंदोलन में जान गंवाने वाला गजेन्द्र सिंह एक राजपूत ही था। वह दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया से कहना चाहेंगे की वह इस हत्या/आत्महत्या की जांच कराएं। सच सामने आना चाहिए।
 

‘फिल्म प्रतिबन्ध लगाने में नाकामी का अफ़सोस’
फिल्म पर प्रतिबंध लगवाने की तमाम कोशिशें नाकाम होने पर अफसोस जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी इसकी मुख्य वजह रही। फिल्म की समीक्षा के लिए जो विशेष पैनल बनाया गया था उसकी राय लेने के पहले ही सेंसर बोर्ड ने फिल्म को हरी झंडी दे दी।
 

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उन्होंने इस बात को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि करणी सेना दक्षिण भारत के लोगों को अपनी बात समझाने में सफल नहीं हो पाई जिसकी वजह से फिल्म को लेकर उत्तर और दक्षिण भारत में कुछ मतभेद देखने को मिले। कालवी ने कहा कि इसके बावजूद पूरे देश में अब तक किसी भी फिल्म का इतना व्यापक विरोध नहीं हुआ जितना की पद्मावत का हुआ है। ऐसा समान विचारों वाले संगठनों के सहयोग से ही संभव हो पाया क्योंकि करणी सेना जैसे संगठन के लिए अकेले अपने बूते इतना बड़ा काम ? करना संभव नहीं था।
 

उन्होंने फिल्म को बिना काट-छांट के पाकिस्तान में दिखाए जाने पर कहा कि भंसाली तो यहां भी यही कर रहे थे वह तो जन विरोध था जिसकी वजह से उन्हें देश में इसे संपादित करना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि संजय लीला भंसाली इतिहास और आस्था के साथ हमेशा खिलवाड़ करते रहे हैं। जोधा अकबर और बाजी राव मस्तानी जैसी फिल्मों के साथ भी उन्होंने यही किया था। ऐसे फिल्म निर्माताओं को शह मिलना ठीक नहीं है।

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