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जयपुर

RAMADAN 2019: पहले जुमे की नमाज में तकरीर.. ‘सिर्फ भूखे-प्यासे रहना ही रोजा नहीं होता’

रमजान अहसान करने और मदद करने का महीना है। इस महीने में हासिल नेकियों को सालभर जारी रखें

जयपुरMay 11, 2019 / 01:13 pm

abdul bari

RAMADAN 2020

RAMADAN 2019: पहले जुमे की नमाज में तकरीर.. ‘सिर्फ भूखे-प्यासे रहना ही रोजा नहीं होता’

जयपुर.
इस्लामी विद्वान मुफ्ती अमजद अली ने कहा कि रोजे का मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना ही नहीं बल्कि इसमें रूह और सोच को बदलना है। वे जौहरी बाजार जामा मस्जिद में रमजान ( ramadan 2019 ) के पहले जुमे की नमाज से पहले तकरीर कर रहे थे।
इस दौरान उन्होंने कहा कि इंसान के जिस्म का मुकाम इसकी आत्मा की वजह से है। रूह अल्लाह का हुक्म है। यह आसमान से आया है। अल्लाह ने सारे आदेश नबी के जरिए तमाम इंसानों तक पहुंचाएं हैं। रमजान अहसान करने और मदद करने का महीना है। इस महीने में हासिल नेकियों को सालभर जारी रखें। गरीबों और मिस्कीनों पर दया करें, साथ ही उन्होंने नबी की सुनन्तों पर चलने की बात कहीं तकरीर के बाद मुफ्ती ने नमाज अदा करवाई।
धूप से बचाव के लिए किए इंतेजाम

इस दौरान छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने शिरकत की। इस मौके पर मस्जिद इंतेजामिया कमेटी की ओर से धूप से बचने के लिए खास इंतेजाम भी किए गए। दूसरी ओर शिया जामा मस्जिद में मौलाना सैयद नाजिश अकबर काजमी ने नमाज अदा करवाई।
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तेज गर्मी के बावजूद इबादत का जज्बा

जामा मस्जिद में तेज गर्मी के बावजूद हजारों लोग नमाज अदा करने पहुंचे। अंदर जगह कम पड़ी तो फुटपाथ के बाहर नमाज अदा की गई। व्यापारियों ने भी नमाजियों का सहयोग किया। इस बार रमजान के पाक महीने में चार जुमे आ रहे हैं। रमजान के आखिरी जुमे यानि जुमातुलविदा की नमाज 31 मई को अदा की जाएगी।

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