उपचार के बाद जोन में छोड़ा
आपको बता दें कि पशु चिकित्सक डॉ. राजीव गर्ग ने टी 109 का उपचार किया। उचार के बाद बाघ को दोपहर डेढ़ बजे जोन दस में छोड़ दिया गया। उपचार के बाद बाघ की स्थिति ठीक बताई जा रही है। वन अधिकारियों ने बताया कि बाघ की पीठ, आगे के पैरों इाक्र गर्दन पर कुल मिलाकर करीब सत्तर घाव पाए गए। चिकित्सकों ने घावों की सफाई करके बाघ का उपचार किया। इसके बाद दोपहर करीब डेढ़ बजे बाघ को जोन दस में छोड़ दिया गया।
गनीमत रही, वरना जान पर बन आती
इस संघर्ष में जख्मी होने और इसका पता देरी से चलने के चलते बाघ 109 के शरीर के जख्मों में कई जगह पर कीड़े पड़ गए थे। गनीमत यह रही कि जल्द ही इस बात का पता चल गया लेकिन इंफेक्शन फैलने से बाघ की जान पर बन आ सकती थी। आपको बता दें कि पशुचिकित्सकों की टीम ने ट्रेंकुलाइज करके बाघ को बेहोश किया और फिर जख्मों से 50 से ज्यादा कीड़े निकाले। चिकित्सकों ने इस दौरान बताया कि यदि बाघ का समय पर उपचार नहीं होता तो कीड़ों के कारण उसे इंफेक्शन और सेप्टिक हो सकता था।
टेरेटरी को लेकर संघर्ष संभव
बाघ के जख्मों को देखकर इस बात से इनकार नहीं किया जा रहा है कि यह संघर्ष टेरेटरी को लेकर हो सकता है। यह संघर्ष दो से तीन दिन पहले होना बताया जा रहा है। यह संघर्ष बाघ फतेह के साथ हो सकता है। लेकिन हैरत की बात यह है कि वन विभाग की टीम को इस संघर्ष में बाघ के घायल होने की जानकारी देरी से मिली। इससे इस परियोजना में बाघों की मॉनिटरिंग और ट्रेकिंग की व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान भी लग गए हैं। आपको बता दें कि इस खूनी संघर्ष में बाघ टी—42 जिसका नाम फतेह है, उसके भी घायल होने की आशंका है। ऐसा इसलिए कि यह बाघ लंगड़ाकर चलता हुआ देखा गया है। हालांकि टी—109 की तुलना में टी 42 को कम चोट आने की बात भी कही जा रही है। वहीं, इस पूरे घटनाक्रम पर रणथम्भौर बाघ परियोजना के उपवन संरक्षक मुकेश सैनी का कहना है कि बाघ को सुबह फार्म हाउस में ही ट्रेंकुलाइज करके उसका उपचार किया गया। बाद बाघ को जोन दस में छोड़ा गया है। बाघ अभी ठीक है। बाघ की मॉनिटरिंग
की जा रही है।