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जयपुर

खूनी संघर्ष में वीरू ने नहीं मानी हार, शरीर पर आए 70 जख्म

Tiger Fight In Ranthambore national park : बाघ परियोजना में बाघों के बीच खूनी संघर्ष सामने आया है। यह खूनी संघर्ष बाघों के बीच में अपनी टेरेटरी को लेकर हुआ,

जयपुरSep 30, 2019 / 09:31 pm

Ashish

Ranthambore national park Tiger Fight

खूनी संघर्ष में वीरू ने नहीं मानी हार, शरीर पर आए 70 जख्म

जयपुर
Tiger Fight In Ranthambhor National Park : बाघ परियोजना में बाघों के बीच खूनी संघर्ष सामने आया है। यह खूनी संघर्ष बाघों के बीच में अपनी टेरेटरी को लेकर हुआ, यह आशंका प्राथमिक तौर पर जताई जा रही है। यह संघर्ष हुआ है रणथम्भौर बाघ परियोजना क्षेत्र में। इस संघर्ष में वीरू के शरीर पर 70 घाव आएं हैं। जख्मों की इस संख्या से ही आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि टेरेटरी को लेकर यह खूनी संघर्ष किस तरह से हुआ होगा। हालांकि अभी इस बात का पता लगाया जा रहा है कि आखिर यह संघर्ष किन कारणों के चलते हुआ। आपको बता दें कि रणथम्भौर की बाघिन लाडली के शावक वीरू यानि टी-109 को सोमवार को सुबह करीब साढ़े नौ बजे भैरूपुरा चौकी के पास स्थित एक फार्म हाउस में ट्रेंकुलाइज किया गया। ट्रेंकुलाइज करने के बाद पशुचिकित्सक की देखरेख में काफी देर तक बाघ का उपचार किया गया। एक बार तो वीरू के शरीर पर जख्मों के इतने निशान देखकर पशुचिकित्सक भी हैरान रह गए।

उपचार के बाद जोन में छोड़ा
आपको बता दें कि पशु चिकित्सक डॉ. राजीव गर्ग ने टी 109 का उपचार किया। उचार के बाद बाघ को दोपहर डेढ़ बजे जोन दस में छोड़ दिया गया। उपचार के बाद बाघ की स्थिति ठीक बताई जा रही है। वन अधिकारियों ने बताया कि बाघ की पीठ, आगे के पैरों इाक्र गर्दन पर कुल मिलाकर करीब सत्तर घाव पाए गए। चिकित्सकों ने घावों की सफाई करके बाघ का उपचार किया। इसके बाद दोपहर करीब डेढ़ बजे बाघ को जोन दस में छोड़ दिया गया।
गनीमत रही, वरना जान पर बन आती
इस संघर्ष में जख्मी होने और इसका पता देरी से चलने के चलते बाघ 109 के शरीर के जख्मों में कई जगह पर कीड़े पड़ गए थे। गनीमत यह रही कि जल्द ही इस बात का पता चल गया लेकिन इंफेक्शन फैलने से बाघ की जान पर बन आ सकती थी। आपको बता दें कि पशुचिकित्सकों की टीम ने ट्रेंकुलाइज करके बाघ को बेहोश किया और फिर जख्मों से 50 से ज्यादा कीड़े निकाले। चिकित्सकों ने इस दौरान बताया कि यदि बाघ का समय पर उपचार नहीं होता तो कीड़ों के कारण उसे इंफेक्शन और सेप्टिक हो सकता था।
टेरेटरी को लेकर संघर्ष संभव
बाघ के जख्मों को देखकर इस बात से इनकार नहीं किया जा रहा है कि यह संघर्ष टेरेटरी को लेकर हो सकता है। यह संघर्ष दो से तीन दिन पहले होना बताया जा रहा है। यह संघर्ष बाघ फतेह के साथ हो सकता है। लेकिन हैरत की बात यह है कि वन विभाग की टीम को इस संघर्ष में बाघ के घायल होने की जानकारी देरी से मिली। इससे इस परियोजना में बाघों की मॉनिटरिंग और ट्रेकिंग की व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान भी लग गए हैं। आपको बता दें कि इस खूनी संघर्ष में बाघ टी—42 जिसका नाम फतेह है, उसके भी घायल होने की आशंका है। ऐसा इसलिए कि यह बाघ लंगड़ाकर चलता हुआ देखा गया है। हालांकि टी—109 की तुलना में टी 42 को कम चोट आने की बात भी कही जा रही है। वहीं, इस पूरे घटनाक्रम पर रणथम्भौर बाघ परियोजना के उपवन संरक्षक मुकेश सैनी का कहना है कि बाघ को सुबह फार्म हाउस में ही ट्रेंकुलाइज करके उसका उपचार किया गया। बाद बाघ को जोन दस में छोड़ा गया है। बाघ अभी ठीक है। बाघ की मॉनिटरिंग
की जा रही है।

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