ज्ञापन देने के बाद पूनियां ने कहा कि प्रदेश में अपराध बेलगाम हो चुके हैं। मुख्यमंत्री एक बुरे पिता की भूमिका में दिख रहे हैं, क्योंकि वो बच्चियों को न्याय दिलाने में सक्षम दिखाई नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान के इतिहास में पहली बार ऐसी लचर सरकार आई है जिसके पाये इतने कमजोर हैं कि ना तो अपनी पार्टी को संक्रमण से बचा पा रहे हैं और ना ही सरकार को बचा पा रहे हैं।लेकिन उससे भी ज्यादा चिंताजनक बात है कि अपराधों को रोकने में भी सरकार विफल है। पूनियां ने कहा कि राजस्थान क्राइम कैपिटल बनता जा रहा है और सरकार का इकबाल खत्म हो गया है। 20 माह में राज्य सरकार हर मोर्चे पर विफल है। प्रतिनिधिमंडल में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, सांसद जसकौर मीना औऱ विधायक मदन दिलावर भी शामिल थे।
किसी और को गृहमंत्री की जिम्मेदारी क्यों नहीं सौंपते गहलोत नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री को गृहमंत्री की जिम्मेदारी किसी और को सौंपी देनी चाहिए। वो अपराधों पर लगाम लगाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। कटारिया ने अपराध के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि सितंबर महीने में प्रदेश के हर हिस्से से दुष्कर्म की घटनाओं की खबर आई है। सिरोही की घटना ने तो हर किसी को दहला दिया। ज्यादातर मामलों में सरकार की लापरवाही देखी गई। मामले में न्याय नहीं मिलने से पीड़ितों ने आत्महत्या भी की है। कई जगह पीड़ित परिवार के मुखिया ने आत्महत्या कर ली।
गहलोत देश के सबसे असफल गृहमंत्री उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि पुलिस पर एक महीने के भीतर 8 बार हमले हो चुके हैं, लेकिन फिर भी पुलिस कार्रवाई नहीं कर पा रही है। आम आदमी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। क्राइम के आंकड़ों से साफ है कि गहलोत देश के सबसे असफल गृहमंत्री हैं, उन्हें इस पद को छोड़ देना चाहिए।