कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार की खण्डपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार
Rajasthan Government की अपील खारिज कर दी है। दिसम्बर 2018 के पहले सप्ताह में हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सुरज्ञान व अन्य की याचिका पर आरएएस भर्ती 2018 में सामान्य वर्ग की कट ऑफ से अधिक अंक वाले अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने को कहा था।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि आरएएस भर्ती-2016 और पटवारी भर्ती को लेकर भी समान विषय पर सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन है। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने अपील की थी, जिसमें कहा था कि राज्य में आरएएस अधिकारियों की कमी है, ऐसे में रोक हटा दी जाए।
एकलपीठ में याचिकाकर्ता रहे अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर एन माथुर ने राज्य सरकार की अपील का विरोध करते हुए कहा कि अधिकारियों की कोई कमी नहीं है, आरएएस भर्ती 2016 के अभ्यर्थियों को अब तक नियुक्ति नहीं दी गई है। इसके अलावा याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में बैठाने से परीक्षा पर कोई असर भी नहीं पडने वाला है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपील को खारिज कर दिया।
यह था मामला
आरएएस व अधीनस्थ सेवा के 1080 पदों की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जारी हो चुका है, जिसमें सामान्य वर्ग की कट ऑफ 76.06 और ओसीबी वर्ग की कट ऑफ 99.33 रही। याचिकाकर्ता ओबीसी वर्ग से हैं और उनके सामान्य वर्ग की कट ऑफ से अधिक अंक हैं।
आरपीएससी ने याचिकाकर्ताओं को ओबीसी में मानते हुए मुख्य परीक्षा में शामिल नहीं किया है। सामान्य वर्ग एक ऐसी श्रेणी होती है, जिसमें अधिक अंक लाने वाला कोई भी अभ्यर्थी शामिल हो सकता है। ऐसे में याचिकाकर्ताओं ने सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी के रूप में मुख्य परीक्षा में शामिल करने की गुहार की थी।