कर्जभार बढ़ने का एक कारण पिछली सरकार के समय विद्युत वितरण कंपनियों को बचाने के लिए केन्द्र की उदय योजना के तहत लिया गया उधार भी बताया जा रहा है। अब तक उदय योजना के कर्ज की जितनी मूल राशि चुकाई गई है, ब्याज भुगतान की राशि भी उससे थोड़ी ही कम है। इसके उलट केन्द्रीय वित्त सचिव ने हाल ही सभी राज्यों के बड़े नौकरशाहों की मौजूदगी में जरूरी खर्चों के प्रबंधन में प्रदेश की स्थिति 9 राज्यों से बेहतर बताई है। वहीं शिक्षा और स्वास्थ्य का खर्च बढ़ाया गया है।
हर साल चुकाए 8 से 10 हजार करोड़
विद्युत वितरण कंपनियों को बचाने के लिए राज्य सरकार ने सात साल पहले केन्द्र की उदय योजना के तहत 62 हजार 122 करोड़ रुपए का उधार लिया था। यह उधार भले ही राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिया, लेकिन अब तक करीब 31 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज कम हुआ है और इस दौरान ब्याज करीब 25 हजार करोड़ रुपए अलग से चला गया है। शुरुआत में इसके लिए राज्य को सालाना करीब दस हजार करोड़ रुपए देने पड़ते थे, फिर 8 हजार करोड रुपए और अब यह राशि धीरे—धीरे कम हो रही है।
13 राज्यों से बेहतर है राजस्थान
राजस्व प्राप्ति के मुकाबले जरूरी (कमिटेड) खर्च के मामले में राजस्थान की स्थिति हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, केरल, तमिलनाडू, असम, त्रिपुरा व सिक्किम से बेहतर है, जबकि देनदारी के मामले में राज्य की स्थिति 13 राज्यों से बेहतर है।