कर्जभार बढ़ने का एक कारण पिछली सरकार के समय विद्युत वितरण कंपनियों को बचाने के लिए केन्द्र की उदय योजना के तहत लिया गया उधार भी बताया जा रहा है। अब तक उदय योजना के कर्ज की जितनी मूल राशि चुकाई गई है, ब्याज भुगतान की राशि भी उससे थोड़ी ही कम है। इसके उलट केन्द्रीय वित्त सचिव ने हाल ही सभी राज्यों के बड़े नौकरशाहों की मौजूदगी में जरूरी खर्चों के प्रबंधन में प्रदेश की स्थिति 9 राज्यों से बेहतर बताई है। वहीं शिक्षा और स्वास्थ्य का खर्च बढ़ाया गया है।
- वर्ष 2022—23 में 49630 करोड़ रुपए बजट, 2019—20 के 34291 करोड़ रुपए खर्च
- स्वास्थ्य वर्ष 2022—23 में 20111 करोड़ रुपए बजट, 2018—19 के 11861 करोड़ रुपए ही खर्च
- रिपोर्ट में लिखा यह है स्थिति
- निर्धारित सीमा से अधिक स्वीकृत सीमा के भीतर जीएसटी ऋण लिया क्षतिपूर्ति व पूंजीगत खर्च के लिए ऋण लिया
- राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020—21 में कोविड़ के कारण आयोग के लक्ष्य से पार 5.3 प्रतिशत व वर्ष 2021—22 में 4.5 प्रतिशत से कम, जो स्वीकृत सीमा में।
- राजस्थान सहित 10 प्रदेश में बीते वित्त वर्ष का कर राज्यों में कर राजस्व घटा राजस्व उससे पिछले साल से 24 प्रतिशत बढ़ा।
- खर्च सही नहीं किया उत्पादकता बढ़ाने के लिए पूंजीगत खर्च पर जोर दिया
- राज्य का जरूरी आरबीआइ रिपोर्ट में जिन 10 (कमिटेड) खर्च अधिक है राज्यों का हवाला, उनमें से मध्यप्रदेश ही बेहतर स्थिति में।
- लीकेज रुकता तो डीबीटी सिस्टम से निगरानी बढ़ी गरीबों को फायदा होता और लीकेज की शिकायतों में कमी।
- किसानों को अनुदान कोविडकाल में अनुदान से अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान बढ़ा।
- पूंजीगत खर्च बढ़ाकर स्थाई परिसम्पत्ति बढ़ाई
- नियमों में शिथिलता देकर एमनेस्टी स्कीम के जरिए विवादों में फंसे पैसे की वसूली की
- डीबीटी का दायरा बढ़ाकर वित्तीय लीकेज को रोका
- किसानों को बिजली के बजाय सोलर सिस्टम से ज़ोड़ा
हर साल चुकाए 8 से 10 हजार करोड़
विद्युत वितरण कंपनियों को बचाने के लिए राज्य सरकार ने सात साल पहले केन्द्र की उदय योजना के तहत 62 हजार 122 करोड़ रुपए का उधार लिया था। यह उधार भले ही राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिया, लेकिन अब तक करीब 31 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज कम हुआ है और इस दौरान ब्याज करीब 25 हजार करोड़ रुपए अलग से चला गया है। शुरुआत में इसके लिए राज्य को सालाना करीब दस हजार करोड़ रुपए देने पड़ते थे, फिर 8 हजार करोड रुपए और अब यह राशि धीरे—धीरे कम हो रही है।
13 राज्यों से बेहतर है राजस्थान
राजस्व प्राप्ति के मुकाबले जरूरी (कमिटेड) खर्च के मामले में राजस्थान की स्थिति हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, केरल, तमिलनाडू, असम, त्रिपुरा व सिक्किम से बेहतर है, जबकि देनदारी के मामले में राज्य की स्थिति 13 राज्यों से बेहतर है।