इन दोनों योजनाओं के तहत प्रदेश के चिन्हित सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज किया जाता है। आरजीएचएस में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को कैशलेस इलाज मिलता है। इसके बदले राज्य सरकार उनके वेतन और पेंशन में से राशि की कटौती करती है। जबकि आयुष्मान आरोग्य बीमा योजना में सरकार इलाज के बाद सालाना 850 रुपए का प्रीमियम वसूल करती है। गौरतलब है कि गत कांग्रेस सरकार की ओर से शुरू की गई इस योजना का नाम बदलकर भाजपा सरकार ने आयुष्मान आरोग्य बीमा योजना कर दिया है।
प्रदेश में आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना और राजस्थान गर्वनमेंट हैल्थ स्कीम (आरजीएचएस) के तहत इलाज जारी रखना नई सरकार के सामने बड़ी चुनौती होगी। कांग्रेस सरकार के समय शुरू की गई इन दोनों बड़ी योजनाओं से आमजन को बड़ा लाभ मिला। लेकिन गत वर्ष राइट टू हैल्थ बिल के कुछ प्रावधानों और इन दोनों योजनाओं की पैकेज दरों को लेकर राज्य सरकार और निजी अस्पताल संगठनों के बीच विवाद शुरू हो गया। उसके बाद से ही निजी अस्पतालों ने मरीजों को इन योजनाओं के तहत मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए मना करना शुरू दिया। जो आज तक जारी है।
– चिरंजीवी के तहत करीब 1700 बीमारियों की पैकेज दरों से बड़े निजी अस्पताल खुश नहीं
– निजी अस्पतालों का तर्क : इन दरों पर गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध करवाना संभव नहीं
– एक ही दरें लगातार रहने से इलाज की आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल संभव नहीं
सरकारी अस्पताल जितना भुगतान बीमा कंपनी से ले रहे, उतना ही निजी अस्पतालों को दिया जा रहा, यह निजी क्षेत्र का शोषण।
सरकार ने जनता को गुमराह करते हुए जनता से ही पैसा लेकर सरकारी अस्पतालों की मेडिकल रीलिफ सोसायटियों (आरएमआरएस) का खजाना भरने का रास्ता खोला, जिसे नि:शुल्क इलाज की तरह प्रचारित किया गया।