परिवहन विभाग के सूत्रों के मुताबिक राज्य में औसतन रोजाना जारी होने वाले लाइसेंस में 10 फीसदी से ज्यादा लाइसेंस 16 से 18 साल की उम्र के उन किशोरों के होते हैं, जो 50 सीसी क्षमता के वाहन के लिए होता है। ऐसे किशोरों के ट्रायल अधिक क्षमता की गाड़ी से लिए जाने की शिकायतें भी परिवहन मुख्यालय काफी समय से लगातार पहुंच रही थी।
तीन दिन पहले परिवहन विभाग ने इस पर फोकस किया है। परिवहन आयुक्त की ओर से जारी आदेश में ही स्वीकार किया गया है कि 50 सीसी क्षमता की गाडिय़ां देश में दो कंपनियां बनाती थी। लेकिन सालों पहले ही यह कंपनियां 50 सीसी क्षमता की गाडिय़ां बनाना बंद कर चुकी हैं। ऐसे में अब लाइसेंस जारी करने के दौरान 50 सीसी क्षमता की गाड़ी से ही ट्रायल लिया जाए। खास बात यह है कि इस गाड़ी का रजिस्टे्रशन नंबर भी अब रिकॉर्ड पर इन्द्राज करना जरूरी किया गया है। यह भी पाबंदी लगाई गई है कि एक गाड़ी का नंबर रिकॉर्ड में बार-बार दर्ज नहीं किया जा सकता।
सबकुछ जातने हुए भी वह गलती की जा रही है, जो किशोर की जान को पल-पल खतरे में डाल रही है। आखिर इस गलती के लिए किशोर के माता-पिता या फिर परिवहन विभाग के अधिकारी और स्वयं सरकार है।